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भारत ने संपूर्ण स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर प्रचंड को लांच किया

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Positive India:Jodhpur:
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने जोधपुर में भारतीय वायुसेना को स्वदेशी निर्मित लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) सौंपे। यह पहली बार है जब पूरी तरह भारत में ही निर्मित हेलीकॉप्टर्स को देश की सेना को दिया गया है। इन्हें ‘प्रचंड’ नाम दिया गया है। खुद देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस हेलीकॉप्टर में सफर किया।

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क्या है लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर एलसीएच प्रचंड की खासियतें?
प्रचंड एक लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है। यानी इसका वजन आम हेलीकॉप्टर्स के मुकाबले कम है, जो इसे ज्यादा ऊंचाई और उच्च दाब वाले क्षेत्रों में ज्यादा कारगर बनाता है। एचएएल के मुताबिक, प्रचंड हेलीकॉप्टर का वजन 5800 किलो के करीब है। इसकी अधिकतम रफ्तार 330 किलोमीटर प्रतिघंटा तक है। इसके अलावा यह हेलीकॉप्टर एक बार में 550 किमी तक की दूरी बिना रिफीलिंग के पूरा कर सकता है। साथ ही इसके उड़ने की क्षमता तीन घंटे से भी ज्यादा की है।

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प्रचंड को जो चीज सबसे खास बनाती है, वह है इसके उच्च दाब वाले क्षेत्र में उड़ने की क्षमता। दरअसल, ज्यादा ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में कोई भी विमान काफी देर तक उड़ान नहीं भर सकता। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल (ग्रैविटी), तापमान और घनत्व के चलते भारी एयरक्राफ्ट्स लंबे समय तक ऊंचाई में नहीं रह सकते। लेकिन अपने हल्के वजन की वजह से प्रचंड बड़ी ऊंचाईयों में भी उड़ान भरने में सक्षम है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रचंड सबसे ऊंचाई वाले उच्च दाब के क्षेत्र में भी लंबे समय तक रह सकता है।

बताया गया है कि एलसीएच को बनाने में जो उपकरण और सामग्रियों का इस्तेमाल हुआ है, उनमें से 45 फीसदी स्वदेशी हैं। आईएएफ का दावा है कि यह दुनिया का इकलौता अटैक हेलीकॉप्टर है, जो कि 5,000 मीटर (16 हजार 400 फीट) तक की ऊंचाई पर आसानी से लैंड और टेक-ऑफ कर सकता है। वह भी हथियारों के अच्छे-खासे वजन के साथ।

लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर बनाने के पीछे की कहानी:
भारत को लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर बनाने का विचार पहली बार 1999 के करगिल युद्ध के बाद आया। दरअसल, इस युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों ने करगिल की ऊंचाई वाली चोटियों पर कब्जा कर लिया था। भारतीय वायुसेना उस वक्त मुख्यतः रूस द्वारा निर्मित हेलीकॉप्टरों का ही इस्तेमाल कर रही थी, जो कि इतनी ऊंचाई पर ज्यादा कारगर नहीं थे। आखिरकार भारत को रूस के ही एमआई-17 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करना पड़ा था। इसी के बाद से भारतीय वायुसेना ने एलसीएच प्रोजेक्ट पर गंभीरता से विचार शुरू किया।

आखिरकार 2006 में भारत में लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर के प्रोजेक्ट को लॉन्च किया गया। एचएएल ने तब ऐलान किया कि वह ऐसा हेलीकॉप्टर विकसित करेगा जो कि कठिन से कठिन रेगिस्तानी क्षेत्र के साथ-साथ लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियर जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी आसानी से अभियान में काम आ सके। चार साल तक इस प्रोजेक्ट पर काम करने के बाद आखिरकार 29 मार्च 2010 को भारत में एलसीएच की पहली टेस्ट फ्लाइट सफलतापूर्वक पूरी हुई। हालांकि, प्रोटोटाइप वर्जन को और आधुनिक बनाने का काम शुरू किया गया।

जनवरी 2019 और फरवरी 2020 में इस लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर में हथियारों का ट्रायल किया गया। एचएएल ने तब ऐलान किया था कि उसका यह हेलीकॉप्टर अभियानों के लिए वायुसेना में शामिल किए जाने के लिए तैयार है। इस साल मार्च में सुरक्षा मामलों से जुड़ी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) ने 3887 करोड़ रुपये के खर्च से 15 हेलीकॉप्टरों के अधिग्रहण को मंजूरी दी। इनमें से 10 हेलीकॉप्टर वायुसेना के लिए, जबकि पांच को थलसेना के लिए खरीदने का प्रस्ताव है।
भारत के पहले स्वदेशी हेलीकॉप्टर प्रचंड की खासियते:

1. एलसीएच प्रचंड एक अटैक हेलीकॉप्टर है। हालांकि, अलग-अलग जरूरतों के तहत इसे कई और अभियानों में भी लगाया जा सकता है। खासकर धीमी चाल वाले हवाई टारगेट की ट्रैकिंग के लिए, घुसपैठ को रोकने के लिए। इसके अलावा इन हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल दुश्मन देशों की रक्षा प्रणालियों को फेल करने, सर्च ऑपरेशन, राहत और बचाव कार्य के अलावा युद्ध में टैंकों और अन्य हथियारों को तबाह करने में इस्तेमाल किया जा सकता है।

2. एलसीएच प्रचंड एक ट्विन-इंजन हेलीकॉप्टर है। हेलीकॉप्टर में एचएएल द्वारा मॉडिफाइड शक्ति टर्बोशाफ्ट इंजन्स का इस्तेमाल किया गया है, जो मूलतः फ्रांस की तकनीक पर आधारित हैं और एक बार में 871 किलोवॉट तक की पावर जेनरेट कर सकते हैं। यह इंजन बिना मेंटेनेंस के 3,000 घंटों तक काम कर सकते हैं। इन इंजन्स को यूरोप की उड्डयन सुरक्षा एजेंसी की तरफ से 2007 में ही क्लियरेंस मिल गया था। प्रचंड में डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल सिस्टम है, जिससे पायलट को इस हेलिकॉप्टर को उड़ाने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती।

3. इस अटैक हेलीकॉप्टर में शीशे का कॉकपिट है। इसमें एक साथ दो क्रू सदस्य सवार हो सकते हैं, जिनके पास हेलीकॉप्टर का कंट्रोल होता है। इसके डिजिटल कंट्रोल पैनल में लक्ष्य को निशाना बनाने के साथ हथियारों के इस्तेमाल से जुड़े फीचर्स दिए गए हैं। इसके अलावा प्रचंड में एक डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर पहले से ही लगा है, जो युद्धक्षेत्र की पूरी जानकारी पहुंचाता है।

4. प्रचंड की सबसे खास बात है इसमें लगे सेंसर्स। इनमें एक साधारण कैमरा और इन्फ्रा रेड कैमरा लगा है। ये कैमरे खराब मौसम में भी दुश्मनों की लोकेशन और स्थिति का सटीक पता लगाने में सक्षम हैं। इसके अलावा जमीन और हवाई लक्ष्यों पर गोलीबारी, लेजर-गाइडेड बम और मिसाइलों से निशाना साधने के लिए लेजर डेजिग्नेटर का भी इस्तेमाल किया गया है, जो इसके निशानों को अचूक बना देता है।

प्रचंड में हवाई लक्ष्यों को मार गिराने के लिए एयर-टू-एयर मिसाइलें लगाई गई हैं। इसके अलावा जमीनी टारगेट्स को ध्वस्त करने के लिए एयर-टू-सर्फेस मिसाइलें भी हैं। हेलीकॉप्टर में 20 एमएम कैलिबर वाली बंदूक और 70 एमएम वाले रॉकेट्स भी लगाए गए हैं।

प्रचंड हेलिकॉप्टर सटीलथ टेक्निक से लैस है। ये रडार से आने वाले सिग्नलों को सोखने की क्षमता वाले पदार्थों का इस्तेमाल किया गया है, जिससे दुश्मनों के लिए इसे ट्रैक करना काफी मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा खतरनाक से खतरनाक क्रैश की स्थिति में भी क्रू को नुकसान से बचाने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा केबिन को इस तरह बनाया गया है कि यह किसी भी तरह के बायोलॉजिकल, केमिकल और न्यूक्लियर हमले की स्थिति में क्रू का बचाव कर सके।

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