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भारत देख रहा है आईने में छुपे राजनैतिक चेहरे

चोर चोरी से जाये हेराफेरी से न जाए।

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
राजनीति को समझना हर किसी के बस की बात नही है । जहा से सामान्य आदमी सोचना बंद करता है, वहां से नेता तो सोचना भी चालू नही करते। यही कारण है कि नेता हर समय सफल होते है । इनकी रणनीति मे लाभ हानि बाद मे देखी जाती है । इसके दूरगामी परिणाम क्या होंगे इस पर नजर रहती है । इसलिए नेता हर समय आम आदमी को त्याग की मूर्ति नजर आता है । उल्लेखनीय है जो जितना त्यागी नजर आता है वो सामान्यतः उतना ही धूर्त रहता है । पर उसकी दूसरी छबि दूर दूर तक नजर नही आती। दान और हर समय सहयोग के लिए तत्पर रहने वाले शख्स के दूसरे पक्ष से जब आम आदमी रूबरू होता है तो उसे अपने से खिन्न होने लगती है कि मै कैसे पहचान नही पाया। यही कारण है इनके अंदर बैठा शैतान पद पाने के बाद कुलांचे मारने लगता है । पद प्रतिष्ठा पावर के चलते छोटे मोटे अपराध तो उसके उस आभा मंडल के आगे ही धराशायी हो जाते है । फिर कुछ के लिए उसे ही थोड़ी बहुत मेहनत करनी पड़ती है, जिससे मामले अपने आप ही बंद हो जाते है । पर कुछ जिद्दी लोगो के चलते आखिर श्वास तक लड़ने वालो के कारण ही परेशानी मे आते है । पर उसके पहले साम, दाम, दंड, भेद आदि का ये लोग पूरी तरह से इस्तेमाल कर लेते है । उसमे भी कामयाब हो जाते है, क्योंकि इन लोगो के सहयोग के लिए सभी लोग अपने अपने तरफ से सहायता प्रदान करते है । पर पीड़ित के तरफ से बोलने वाला कोई नही रहता । कुछ टूट जाते है पर कुछ अलग ही मिट्टी के बने रहते है जो उसे अंजाम तक पहुंचाने का माद्दा रखते है, पर इस लड़ाई मे वो अपना बहुत कुछ खो देते है । स्थिति यहा तक आ जाती है कि खोने का ही डर खत्म हो जाता है क्योंकि खोने के लिए कुछ नही रहता । ऐसे लोग कैसे राजनीति कर लेते है या दूसरे शब्दो मे इन्ही के लिए ही राजनीति बनी है । मै तो उन राष्ट्रीय दलो को ज्यादा दोषी मानता हू जिनके नेतृत्व को मालूम होने के बाद भी सामाजिक और दबंगई के चलते इनके आगे घुटने पर आना पड़ता है । जो इनके कुकृत्य के लिए मुहर का काम करता है । यही कारण है एक कहावत है चोर चोरी से जाये हेराफेरी से न जाए । यही कारण है उक्त इंसान जब बड़े पदो पर पहुंचते है तो अपने आदतो से बाज नही आते । इसके चलते देश ने बड़े पदो पर बैठे लोगो से आर्थिक अपराध तो आम बात है पर चरित्र हीनता के मामले भी उस परिसर से दाग लग ही जाते है । जिससे उस पद की गरिमा पर आंच आती है । उस सज्जन पर तो कोई फर्क नही पडता क्योंकि वह उसी मानसिकता का है । अब तो राजनीति का रिवाज हो गया है छोटे पदो पर इसी तरह के खाबिंद बैठाये जाये जिससे जमीनी स्तर के राजनीति का खर्च इन्ही लोग वहन कर लेते है । वही उपर बैठे लोग निश्चिंत हो जाते है वही इस तरह के लोगो को भी निश्चिंतता आ जाती है उन्हे इसके बदले अवैधानिक काम करने के लिए एक छत्री मिल जाती है । यही कारण है प्रशासनिक खर्च करने के बदले इस तरह के लोग राजनीतिक अमलीजामा पहनाने मे ज्यादा विश्वास रखते है । और सफल भी होते है । इसका प्रभाव राजनीति के गिरावट मे नजर आता है । फिर कोई अच्छाआदमी भला आदमी खुददार आदमी इनके महफिल मे कैसे समाहित हो सकता है । फिर अच्छे आदमी राजनीति मे नही आते इसकी तोहमत लगा दी जाती है । फिर राजनीति के खर्चे वहन करने के लिए जिगरा चाहिए जो ऐसे लोगो के पास ही उपलब्ध रहता है । कुल मिलाकर यही राजनीति का आईना है । फिर कभी
लेखक:डा. चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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