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सन्देशखाली में नव ब्याहता को कुछ दिन पार्टी कैडर के नेताओं को “खुश” करने की ड्यूटी में लगाया जाता तब जाकर उसकी सुहागरात होती।

-कुमारsचरित की कलम से-

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Positive India:कुमारsचरित:
सन्देशखाली(Sandeshkhali ) में वैसी बुरी से बुरी घटनाएं हुई जैसी #मनगढ़ंत_स्टोरी_अक्सर वामपंथी बनाया करते थे।
— दस से अधिक वर्षों से सैकड़ों लोगों को बंधुआ मजदूर बनाकर रखा गया। उनसे बेगारी करवाई जाती। आरोपी अपने अवैध कब्जे वाले तालाबों में शोषण की हद तक काम करवाते।

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— सभी पीड़ित sc st के हैं। उनके घरों पर नजर रखी जाती। जवान होती लड़कियों को उठाकर पार्टी कार्यालय ले जाकर उनका कई कई दिन शोषण होता।
— नव ब्याहता को कुछ दिन पार्टी कैडर के नेताओं को “खुश” करने की ड्यूटी में लगाया जाता तब जाकर उसकी सुहागरात होती।

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— रावडी राठौड़ फ़िल्म (में प्रदर्शित एक घटना) की तरह, सुंदर स्त्रियों को उनके पति व बच्चों से अलग कर दिया जाता। वह तभी वापस घर जा पाती जब शाहजहां शेख और उसके गुर्गे तृप्त हो जाते।

— जमीन और तालाब लगभग छीन लिए गए। अधिकांश आय कटमनी के रूप में वसूली जाती। पार्टी लीडर की मर्जी के बिना न कमा सकते न छोड़ सकते।
— पुलिस, नेता, अपराधी की मिलीभगत से ऐसी स्थिति बना दी गई कि न कोई बोल सकता न ही कहीं कह सकता। अवैध हथियारों का कारोबार, धार्मिक आधार पर शोषण और विदेशों से सम्बंध, राज्य की सर्वोच्च सत्ता से अभय।

आश्चर्य कि रवीश, बरखा, राजदीप, ध्रुव राठी ने इस पर एक भी वीडियो नहीं बनाया।
पुलिस कह रही है, सबूत नहीं है। tmc नेता नेशनल टीवी पर कह रहा है यदि रेप हुआ है तो वीडियो फुटेज कहाँ है? एक वामपंथी स्तम्भकार दिल्ली में बैठा लिख रहा है “लड़कियों का रंग गोरा है, वे दलित कैसे हो सकती है?”
और उधर ममता के परम सेक्युलर पत्रकार क्या कहते हैं?
एक ही तो रेप हुआ है!
अभी तो केवल आरोप लगे हैं, सिद्ध नहीं हुए।
सिर्फ आरोपी बनाने से क्या होता है?
तो क्या देश भर में और रेप नहीं होते?

कुलमिलाकर इनका फॉर्मूला वही है, यदि आरोपी मुस्लिम है तो उसके विरुद्ध बोलना नहीं, लिखना नहीं, अपितु बचाव करना, चाहे पीड़ित दलित ही क्यों न हो?

साभार:#कुमारsचरित-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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