मुस्लिम देशों में औरतें सब जगह पिटती हैं चाहे सऊदी हो ईरान हो या तालिबान
-राजकमल गोस्वामी की कलम से-
Positive India: Rajkamal Goswami:
एक बार राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा को कुछ समय के लिए तेहरान रुकना था उनके साथ विमला शर्मा भी थीं । राष्ट्रपति की अगवानी करने जो लोग आये वे विमला शर्मा के लिए हिजाब भी लेकर आये जिसे पहन कर वे हवाई जहाज़ से नीचे उतर सकें । भारत की प्रथम महिला विमला शर्मा ने हिजाब पहनने से मना कर दिया और जब तक राष्ट्रपति लौट नहीं आए जहाज़ में बैठना मुनासिब समझा ।
कट्टर इस्लाम अपने उसूलों से किसी के साथ समझौता नहीं करता । ईरान का राष्ट्रपति जब रोम की यात्रा करता है विश्व विख्यात मूर्तिकार माइकेल एंजेलो की मूर्तियाँ ढक दी जाती हैं । सऊदी अरब के शाह की यात्रा के समय बनारस की मूर्तियाँ ढक दी गई थीं ।
ईरानी औरतों की पर्दे ख़िलाफ़ बग़ावत चीनी थियान अनमन चौक की तरह कुचल दी जाएगी । मर्दों से चौथाई दिमाग़ जिन्हें बख्शा गया है वे अल्लाह के हुक्म की ख़िलाफ़त करेंगी और उसके सिपाही देखते रह सकते हैं भला । ये सब कोड़ा खायेंगी । इनके हमदर्द फ़ुटबॉलर भी पीटे जाएँगे ।
इस्लाम ने ऐसे विद्रोह बहुत देखे हैं । पैग़ंबर के जाने के बाद बहुत से कबीलों ने इस्लाम छोड़ दिया । अबू बक्र ने सबको बेदर्दी से कुचल दिया । ये रिद्दा की जंगें कहलाती है । इस्लामी हुकूमत में मुहतसब की तैनाती की ही इसलिए जाती है कि वह सख़्ती से दीन लागू कर सके । वह शराबियों को कोड़े मारता है, बेपर्दगी वाली औरतों पर भी कोड़ा फटकारता है और जज़िया भी वसूलता है ।
कट्टरता में ईरान और सऊदी अरब में प्रतिद्वंद्विता चलती रहती है कि कौन ज़्यादा कट्टर है । एक शिया है दूसरा वहाबी सुन्नी ।
बहरहाल औरतें सब जगह पिटनी हैं चाहे सऊदी हो ईरान हो या तालिबान ।
इस्लाम में मानवाधिकार नहीं चलते । अल्लाह का हुक्म चलता है । पता नहीं कितना खून खराबा देखना है अभी ईरान को !
साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)