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राही की फूल झड़ी-महिमा साली की

साली न हो तो जीजा घबरा सकता है, घबराकर राजनीति में आ सकता है।

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Positive India:Rajesh Jain Rahi:
समाजशास्त्र की परीक्षा में सरल सा सवाल आया-
“समाज में लुप्त होते रिश्तों की महक पर अपने विचार रखिए।”
एक विद्यार्थी ने अपना दिमाग दौड़ाया,
प्रश्न पत्र को इधर उधर घुमाया,
सबसे पहले,
इसी प्रश्न का उत्तर देने का मन बनाया।।

समाज में वैसे तो सभी रिश्तो की महक फीकी पड़ती जा रही है,
मगर जीजा-साली का तो रिश्ता ही खतरे में है।
छोटे परिवार के चलन के कारण,
किसी को भी साली नहीं मिल पा रही है।

हम दो-हमारे दो,
साली हो तो कैसे हो ?
कहीं-कहीं तो एक पर ही पूर्ण विराम है।
ससुराल में न साला है न साली की मुस्कान है।

साली हो तो ससुराल की गरिमा है,
उपवन में खिले फूल जैसी साली की महिमा है।
साली न हो तो जीजा घबरा सकता है,
घबराकर राजनीति में आ सकता है।

इस रिश्ते को बचाने के लिए व्यापक शोध होना चाहिए,
परिवार नियोजन के पक्षधरों को इस जटिलता का भी बोध होना चाहिए।।
लेखक: राजेश जैन राही, रायपुर

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