अगर तुलना करनी ही है आज़म खान की तो औरंगज़ेब से ज़रूर कर सकते हैं
-दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India:Dayanand Pandey:
रामपुर में तमाम दलितों का इस्लाम में धर्मांतरण करवाने का अपराधी है आज़म खान। भू माफिया है आज़म खान(Azam Khan)। नहीं जानते तो अब से जान लीजिए। जान लीजिए कि भारत माता को डाइन बताने का भी अपराधी है आज़म खान। भ्रष्टाचार और कदाचार के कारण ही वह जेल भुगत रहा है सपरिवार। हत्या और डकैती ही अपराध नहीं होता। ठीक है कि मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसा दुर्दांत हत्यारा नहीं है आज़म खान। लेकिन ऐसे तमाम हत्यारों का संरक्षक है आज़म खान।
नहीं मालूम तो यह भी जान लीजिए कि योगी सरकार के आने के पहले उत्तर प्रदेश में हज़ारों अवैध बूचड़खाने आज़म खान के आशीर्वाद से चल रहे थे। बिना किसी लाइसेंस के। पैसा सीधे नहीं , घुमा कर भी लिया जाता है यह आज़म खान जैसे राजनीतिज्ञ रास्ता दिखाते हैं। जल निगम में तमाम नियुक्तियां बिना किसी औपचारिकता के आज़म खान के मौखिक आदेश पर दे दी गई थीं। इन में तमाम इंजीनियर मुसलमान ही थे। रामपुर की यूनिवर्सिटी आज़म खान के अवैध पैसे से ही बनी। कितने गरीब मुसलमानों की ज़मीन हड़पी है आज़म खान ने , अब अदालत में इस की तफ़सील आम है। जिस के आजीवन कुलपति हैं वह। कहा जाता है कि दाऊद तक का पैसा लगा है इस में। ओवैसी जैसों को जहरीली राजनीति का सबक़ सिखाने वाले आज़म खान हैं।
आज़म खान ही हैं जो सार्वजनिक रूप से जयाप्रदा की चड्ढी का रंग बताते हैं। डी एम से जूता पालिस करवाने का सामंती बयान भी आज़म खान का ही है। मुलायम जैसे डकैत और हत्यारे रहे राजनीतिज्ञ को भी काबू करने का हुनर अगर कोई जानता है तो आज़म खान ही हैं। मुलायम ही क्यों अखिलेश जैसे लवंडों को भी साधना आज़म खान का हुनर है। मुस्लिम राजनीति में जहर कैसे भरा जाता है , इस के आचार्य हैं आज़म खान। कितने खुशनसीब होंगे जिन की भैंसें गायब होते ही चार दिन में मिल जाती हैं।
आज़म खान ही हैं जिन के आते-जाते लखनऊ और रामपुर रेलवे स्टेशन के भीतर और स्टेशन से बाहर उन के घर के भीतर तक पर नगर निगम के लोग सफाई करते रहे हैं। ऐसे अनेक क़िस्से हैं आज़म खान के अपराध को ले कर। इतने कि पूरी किताब लिख जाए। सो आज़म खान की तारीफ़ में कसीदे अगर न ही पढ़ें तो बेहतर। क्यों कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में कलंक हैं आज़म खान। ए पी जे अबुल कलाम नहीं हैं आज़म खान। अगर तुलना करनी ही है आज़म खान की तो औरंगज़ेब से ज़रूर कर सकते हैं।
उस औरंगज़ेब से जिस की तारीफ़ में कुछ हरामी और कमीने कहते हैं कि वह टोपी सिल कर अपना खर्च चलाता था। यह नहीं बताते कि जो लोग इस्लाम नहीं अपनाते थे उन से जजिया कर लेता था औरंगज़ेब। फिर भी जो विरोध करता था , उस का सिर कलम करवा देता था औरंगज़ेब। वह औरंगज़ेब जिस ने अपने पिता शाहजहां को कैद कर लिया जैसे अखिलेश यादव ने मुलायम को। भाई दाराशिकोह का कत्ल कर दिया औरंगज़ेब ने । सल्तनत पर कब्ज़ा करने के लिए। औरंगज़ेब को हम तमाम साज़िश और कत्लेआम के लिए जानते हैं। टोपी सिल कर खर्च चलाने के लिए नहीं। आज़म खान को भी हम औरंगज़ेब की परंपरा का मुसलमान मानते और जानते हैं। जिस ने मुस्लिम राजनीति को परवान चढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश में सिर्फ़ जहर बोने की राजनीति की है। सदाचार के लिए नहीं , बड़बोलेपन के लिए जानते हैं हम आज़म खान को। कभी अखिलेश यादव को मुख्य मंत्री और खुद को प्रधान मंत्री बनने का इजहार करने वाले आज़म खान को लेकिन रामपुर में दलितों को जबरिया इस्लाम क़ुबूल करवाने के लिए भी हम जानते हैं।
कौन नहीं जानता कि औरंगज़ेब के समय में ही काशी विश्वनाथ मंदिर में तोड़-फोड़ कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई। लखनऊ के लक्ष्मण टीला पर मस्जिद भी औरंगज़ेब के समय ही बना। ऐसे जाने कितने मंदिर तोड़े और लूटे गए औरंगज़ेब के समय। ठीक ऐसे ही लखनऊ के लक्ष्मण टीला के बचे हिस्से पर सीवर लाइन मुलायम राज में आज़म खान ने खुदवाई। वक्फ बोर्ड की जाने कितनी भूमि पर आज़म खान ने कब्ज़ा किया , कितने लोग जानते हैं।
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)