अगर यही मूर्खता हम करते रहे तो अभी कई और पवन अवस्थी हमसे बहुत दूर चले जाएंगे
पवन अवस्थी को... विनम्र श्रद्धांजलि🙏🏻
Positive India:Satish Chandra Mishra:
हमारी समझ में अगर अब भी नहीं आ रहा है और हम भेड़चाल में बढ़चढ़ कर शामिल हो रहे हैं। यदि यही मूर्खता हम करते रहे तो अभी कई और पवन अवस्थी हमसे बहुत दूर चले जाएंगे…
आज सवेरे सवेरे लगभग 6 बजे फेसबुक खोली तो भाई Pushker Awasthi Pramath जी द्वारा 5-7 मिनट पहले ही लिखी गयी पोस्ट सबसे पहले दिखाई दी। उसमें पवन अवस्थी के असामयिक आकस्मिक निधन की दुःखद सूचना दर्ज थी। पढ़कर स्तब्ध रह गया था। पुष्कर जी को तत्काल फोन कर उनसे जानकारी ली तो ज्ञात हुआ कि कल रात पवन अवस्थी को भी कोरोना ने ही डस लिया था। लखनऊ में मेरे परिचितों की यह आठवीं मृत्यु है। पवन बाबू से मेरी पहली और आखिरी मुलाकात आज से लगभग 9 वर्ष पूर्व ही हुई थी। पहली मुलाकात सितंबर 2012 में दिल्ली में तथा दूसरी और अंतिम मुलाकात अहमदाबाद में दिसंबर 2012 में। लेकिन शेष 7 मित्र परिचित वो लोग थे जिनसे संपर्क संबंध छात्र जीवन से थे, 3-4 दशक पुराने थे। असंख्य शामें इनके साथ गुजरी थीं। लेकिन उन दुःखद सूचनाओं को मैं सिद्धान्ततः फेसबुक पर पोस्ट नहीं कर रहा था क्योंकि वर्तमान परिदृश्य में ऐसी सूचनाएं शोक और अवसाद में वृद्धि का ही कारण बन रही हैं। लेकिन पवन अवस्थी के निधन पर आज यह पोस्ट लिखने के लिए किसी और कारण से देर रात विवश हुआ हूं।
आज दिन भर देखा कि फेसबुक पर दो तरह की पोस्ट ही सर्वाधिक वायरल हुईं। पहली थी पवन अवस्थी के निधन पर श्रद्धांजलियों की। पवन अवस्थी के वैचारिक संसार के बहुत बड़े दायरे के चलते यह स्वाभाविक था। दूसरी तरह की पोस्टें त्रिपुरा में अगरतला के डीएम द्वारा एक बारात के साथ बरती गयी कठोरता की जबरदस्त निंदा और आलोचना से संबंधित थीं। मैंने भी वह वीडियो देखा है। मुझे डीएम के उस आचरण से कोई आपत्ति नहीं है। बल्कि इसके विपरीत मुझे यह कहने लिखने में कोई हिचक नहीं है कि मैं उस डीएम द्वारा की गई कार्रवाई का प्रबल समर्थक हूं। जरा ध्यान से देखिये उस वीडियो को तो आपको ज्ञात हो जाएगा कि वह विवाह समारोह किसी अनपढ़ गंवार परिवार का नहीं था। वह विवाह समारोह किसी दूरदराज के आदिवासी इलाके में भी नहीं हो रहा था। आज जब देश मे स्थिति इतनी भयावह है कि संक्रमण के भय से कई लोगों के शवों के अंतिम संस्कार से निकट परिजन तक हाथ खड़े कर रहे हैं। सरकारी तंत्र को उनके शवों का अंतिम संस्कार करना पड़ रहा हैं। ऐसे उदाहरण एक दो नहीं बल्कि बहुत बड़ी संख्या में पूरे देश में बिखरे पड़े हैं। अतः ऐसी गम्भीर परिस्थितियों में सैकडों लोगों की भीड़ जुटा कर भव्य विवाह समारोह आयोजित करने वाले अपराधी के खिलाफ उस डीएम द्वारा की गयी कठोर कार्रवाई पर हंगामा क्यों.? क्योंकि परिवार धनी और प्रभावशाली था अतः उसके पक्ष में 5 विधायक भी गरजने लगे।सोशलमीडिया पर डीएम के विरुद्ध जहरीला अभियान भी चला दिया गया। नतीजा यह निकला कि शाम को उस डीएम को माफी मांगनी पड़ गयी। उसकी माफी को भी अपनी विजय की तरह प्रचारित करती मूर्खतापूर्ण पोस्टों की भी बाढ़ सोशल मीडिया में आ गयी। इसका परिणाम अब यह होगा कि पूरे देश में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी कोई कार्रवाई करने से पहले सौ बार सोचेगा। ध्यान रहे कि डीएम की वह कार्रवाई निजी लाभ हानि के लिए नहीं थी। उसकी वह कार्रवाई इसलिए थी कि जिस तरह कल लखनऊ में पवन अवस्थी को हमने असमय आकस्मिक रूप से खोया है उस तरह से कोई दूसरा पवन अवस्थी त्रिपुरा में ना खोना पड़े।
उल्लेख कर दूं कि पवन अवस्थी को जितना मैंने जाना समझा था। उस आधार पर शत प्रतिशत विश्वास से यह कह सकता हूं कि पवन ने मॉस्क, सैनिटाइजर सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर कोई गलती कोई चूक नहीं ही की होगी। लेकिन कानून और सिस्टम को अपनी लौंडी बांदी समझने वाले त्रिपुरा के उस रईस और प्रभावशाली लेकिन अपराधी परिवार जैसे गिरोह जब सारे नियम कानून तोड़ कर अराजकता फैलाने लगते हैं तो उनकी उस अराजकता के कारण फैले जहर से पवन अवस्थी सरीखे सतर्क लोग भी बच नहीं पाते हैं। मुझे विश्वास है कि आज पवन अवस्थी भी अगर जीवित होते तो उस अपराधी परिवार के बजाय उस कर्तव्यपरायण डीएम के ही समर्थन में पोस्ट लिखते। क्योंकि मैं हर लहर के साथ बहकर वाहवाही नहीं बटोरता। कड़ुए सच से मुंह नहीं चुराता। इसलिए कह रहा हूं कि त्रिपुरा की घटना को लेकर जैसी प्रचण्ड मूर्खता की सुनामी सोशल मीडिया पर कुछ लोगों द्वारा चलायी गयी, अगर ऐसी ही करतूतें भविष्य में भी जारी रहीं तो आने वाले दिनोँ में कई और पवन अवस्थी हमसे बहुत दूर चले जाएंगे… विनम्र श्रद्धांजलि🙏🏻
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-एफबी(ये लेखक के अपने विचार)