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भारत अगर धर्मनिरपेक्ष देश है तो मुसलमानों की मर्ज़ी से नहीं है

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India:Rajkamal Goswami:
नई संसद के हिंदू रीति रिवाज से पूजा पाठ करके उद्घाटन करने पर बैरिस्टर साहब ने बड़ी कोफ़्त का मुज़ाहिरा करते हुए कहा कि क्या यही दिन देखने के लिए हमारे पूर्वजों ने अंग्रेजों से जंग की और काला पानी की सज़ा काटी । वे बड़े ज़ोर शोर से कह रहे हैं कि भारत का कोई मज़हब नहीं है प्रधानमंत्री जब साधू संतों को लेकर संसद में पूजा कर रहे थे तो उन्हें किसी पादरी को और मौलवी को भी लेकर जाना चाहिए था ।

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बैरिस्टर साहब आपके पूर्वजों ने अंग्रेजों से कोई जंग नहीं लड़ी बल्कि आपकी पार्टी उन रज़ाकारों की पार्टी हुआ करती थी जो हैदराबाद को हिंदुस्तान और हिंदुओं से जुदा करना चाहती थी । अंग्रेजों के तलवे चाटने के सिवा दूसरा काम सिर्फ़ उन्होंने हिंदुस्तान से जंग करने का किया जिसके लिए भारत सरकार को ऑपरेशन पोलो चला कर हैदराबाद को मुल्क के साथ मिलाना पड़ा । आपकी पार्टी के सदर तब सैयद क़ासिम रिज़वी हुआ करते थे जिन्हें भारत के खिलाफ जंग करने की वजह से गिरफ्तार करके पाकिस्तान भेज दिया गया । आपके पूर्वजों का कालापानी से क्या लेना देना ।

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और भारत अगर धर्मनिरपेक्ष देश है तो मुसलमानों की मर्ज़ी से नहीं है । मुसलमानों का कोई मुल्क धर्मनिरपेक्ष नहीं है और न हो सकता है । यह हिंदुओं का उदारवादी वसुधैव कुटुंबकम का आदर्श है कि हम इंसान ही नहीं सभी जीव जंतुओं को अपने परिवार का अंग मानते हैं । आपके पूर्वजों की चलती तो हैदराबाद एक मुस्लिम स्टेट होता । सैयद क़ासिम रिज़वी ने सरदार पटेल को धमकी देते हुए कहा था कि अगर हैदराबाद को भारत में मिलाने की कोशिश की गई तो वह वहाँ के हिंदुओं का क़त्ले आम कर देंगे ।

हिंदू रीति रिवाज़ों से सरकारी भवनों का उद्घाटन होना कोई नई बात नहीं है और यह आगे भी होता रहेगा । देख लीजिए आपके पूर्वजों को सरदार पटेल किस तरह घुटनों पर लाए थे ।

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार है)

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