Corona Breaking:आईसीएमआर ने स्वदेशी एलिसा टेस्ट ‘कोविड कवच एलिसा’ को किया विकसित
एनआईवी के वैज्ञानिकों ने सार्स-सीओवी-2 वायरस को सफलतापूर्वक पृथक किया।
Positive India:New Delhi;11 May 20:
पुणे स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) ने कोविड-19 के एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए स्वदेशी आईजीजी एलिसा टेस्ट(Indigenous IgG Elisa Test)’कोविड कवच एलिसा'(Covid Kavach Elisa) को विकसित करते हुए इसे मान्यता दे दी है।
कोविड-19(COVID-19) महामारी 214 देशों में फैली है, जिसमें अब तक कुल 38,55,788 मामलों की पुष्टि और 2,65,862 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। दुनिया के अधिकांश देश अपने संभावित प्रयासों के माध्यम से इस महामारी को नियंत्रित करने के लिए संघर्षरत हैं। दुनिया भर के देशों द्वारा विभिन्न प्रकार के नैदानिक परीक्षणों की मांग में भी वृद्धि हुई है। कोविड-19 के लिए भारत में अधिकांश नैदानिक सामग्री का आयात अन्य देशों से किया जाता है। इसलिए, भारतीय वैज्ञानिक कोविड-19 के रोग कारक सार्स-सीओवी-2 के लिए स्वदेशी निदान विकसित करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।
पुणे स्थित आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी)(ICMR-NIV) अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त और वायरोलॉजी अनुसंधान में विशेषज्ञताप्राप्त देश की शीर्ष प्रयोगशाला है। एनआईवी की सक्षम वैज्ञानिक टीम ने भारत में इस रोग की पुष्टि वाले रोगियों में से सार्स-सीओवी-2 वायरस को प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक पृथक कर दिया है। इससे सार्स-सीओवी-2 के लिए स्वदेशी निदान का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
जबकि सार्स-सीओवी-2 के निदान के रियल टाईम आरटी-पीसीआर(Real Time-PCR) एक प्रमुख परीक्षण है और जनसंख्या में संक्रमण के अनुपात को समझने के मामले में निगरानी हेतु मजबूत एंटीबॉडी परीक्षण(Antibody Test) इस दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम हैं।
पुणे स्थित आईसीएमआर-एनआईवी के वैज्ञानिकों ने सार्स-सीओवी-2 के लिए एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए पूरी तरह से स्वदेशी आईजीजी एलिसा टेस्ट को विकसित करने और इसे मान्यता देने की दिशा में उत्साहजनक कार्य किया है। परीक्षण को मुंबई के दो स्थलों पर मान्य किया गया और इसमें उच्च संवेदनशीलता और विशिष्टता पायी गयी है। इसके अलावा, इससे ढाई घंटे के एक निरंतर परीक्षण में एक साथ 90 नमूनों के परीक्षण का लाभ मिल सकेगा। इसके अलावा, एलिसा आधारित परीक्षण जिला स्तर पर भी आसानी से संभव है। रियल टाईम आरटी-पीसीआर परीक्षण की तुलना में इसमें न्यूनतम जैव-सुरक्षा की आवश्यकता होती हैं। कई उच्च परीक्षण किट, जो हाल ही में भारतीय बाजार में आई हैं, उनकी तुलना में इस परीक्षण में अत्यधिक संवेदनशीलता और विशिष्टता भी है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पुणे के आईसीएमआर-एनआईवी द्वारा विकसित कोविड-19 के एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए स्वदेशी आईजीजी एलिसा मानव परीक्षण किट जनसंख्या में सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण के अनुपात को समझने के लिए निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
आईसीएमआर ने एलिसा परीक्षण किट के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए ज़ाइडस कैडिला(Zydus Cadila) के साथ भागीदारी की है। पुणे स्थित आईसीएमआर-एनआईवी में विकास के बाद, बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए इस प्रौद्योगिकी को ज़ाइडस कैडिला को स्थानांतरित कर दिया गया है, जो एक नवाचार संचालित वैश्विक स्वास्थ्य सेवा कंपनी है। ज़ाइडस ने एलिसा परीक्षण किटों के अनुमोदन और वाणिज्यिक उत्पादन में तेजी लाने के लिए निरंतर चुनौतिय पूर्ण भमिका निभाई है ताकि इन्हें जल्द से जल्द उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जा सके। इस परीक्षण को “कोविड कवच एलिसा” का नाम दिया गया है। यह रिकॉर्ड समय में “मेक इन इंडिया”(Make In India) का एक आदर्श उदाहरण है।