www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

नर से वानर बनिए,तभी लंका जलेगी..

-तत्वज्ञ की कलम से-

laxmi narayan hospital 2025 ad

Positive India: Tatvagya:
शहर के एक मोहल्ले में,19–20 कुत्तों के झुंड का आतंक था,जब भी कोई वहां से गुजरता,वो उसे दौड़ा लेते,भौंक भौंक कर,बाइक वालों,साइकल वालों को गिरा तक देते,पैदल चलने वालों को दौड़ा दौड़ा कर काट लेते।उनको कोई पलट कर पत्थर मारे,तो वो उस व्यक्ति को नोच खाते थे।अक्सर पलट कर पत्थर मारने वाले,इक्का दुक्का ही होते थे,तो कुत्तों का ये एकजुट झुंड,हावी हो जाता था।कुत्तों को ये लगने लगा था,कि ये अब उनका ही इलाका है,और कोई वहां से,कभी गुजर नहीं पाएगा।मानवों ने भी उस इलाके से बच कर दूसरे इलाके से निकलना शुरू कर दिया,अब पूरे शहर में वो मोहल्ला,कुत्तों के मोहल्ले के नाम से,पहचाना जाने लगा।

फिर एक दफे,कुत्तों के उस मोहल्ले से,बंदरों का एक बड़ा झुंड गुजरा,छतों के रास्ते से ही बंदर अपनी मस्ती से जा रहे थे,कुत्तों को वो भी नहीं सुहाया।

कोई उनके समक्ष,उनके मोहल्ले से बिना डरे,बिना कांपे,बिना सर झुकाए,बिना भागे,कैसे जा सकता है,वो भी इतनी मस्ती में?

कुत्तों ने छतों के नीचे से,वही किया,जो वो हर बार सड़कों पर राहगीरों के साथ करते थे,भौंकना,गुर्राना,दौड़ाना।इतने में एक बंदर के बच्चे ने,पलट कर घुड़की दी,एक बंदर के बच्चे का पलटकर,जवाब देना,कुत्तों के अहम को ठेंस पहुंचा गया,वो झल्ला कर उसकी ओर एक साथ दौड़े,ये देख,जल्दीबाजी में,बच्चे का हाथ,छत से फिसला,और वो नीचे जा गिरा,गिरते ही कुत्तों के झुंड ने उसे नोच डाला,खून से लथपथ,बंदर का बच्चा,आखिरी श्वास तक लड़ता रहा,लड़ता रहा…

फिर क्या था?बंदरों के पूरे झुंड ने,अपने झुंड के बच्चे का ये हाल देख,वो किया,जो मानव कभी न कर पाए थे।

कुत्तों को पकड़–पकड़ कर काटा,नोचा,फाड़ा।जो कुत्ता मिला,उसे पटक–पटक कर मारा,पत्थरों से उनके सर कूंचे,और तो और एक–एक कुत्ते को,बंदरों के चार–पांच के गुट ने,एक साथ पकड़–पकड़ कर,छतों पर खींच लिया और वहां ऊपर से,नीचे पटक दिया,नहीं मरे,तो फिर उस कुत्ते को ऊपर खींच ले गए,और फिर पटका।उन उपद्रवी कुत्तों के बच्चों तक को,नहीं छोड़ा क्रोधित बंदरों ने,क्योंकि वो पिल्ले भी,अपने मां बाप की भांति ही,पोटेंशियल उपद्रवी कुत्ते हो जाते,आगे चलकर,
इसलिए सब समाप्त!!!

उस मोहल्ले से,कुत्तों का आतंक,
उनकी पूरी नस्ल के साथ,समाप्त हुआ
और बंदरों का झुंड,दूसरे मोहल्ले की ओर चल पड़ा..

अब शहर का वो मोहल्ला,
कुत्तों का मोहल्ला/कुत्तों का इलाका,नहीं रहा…

वो अब शहर का सबसे शांत,
और सुरक्षित मोहल्ला हो गया..

जहां नर की सभ्यता,शिष्टाचार,विनम्रता,काम न आए..
वहां,वानर की उद्दंडता ही,काम आती है..!

नर से वानर बनिए,तभी लंका जलेगी..🔥

जय जय श्री राम🙏🏻🏹🚩
जय जय बजरंगबली हनुमान🙏🏻💪🏻🚩

साभार:✒️ तत्वज्ञ देवस्य-(ये लेखक के अपने विचार हैं)
आश्विन शुक्ल त्रयोदशी
🔆 मंगलवार,१५ अक्टूबर २०२४
विक्रम संवत् २०८१
@highlight

Leave A Reply

Your email address will not be published.