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स्वतंत्र और स्वाधीनता पूर्वक की जाने वाली चोरी का काम बद्ध अंजलि के साथ सेवा करने वाले सेवक से कैसे बेहतर है?

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India:Rajkamal Goswami:
चोर सदा से समाज के महत्वपूर्ण अंग रहे हैं । संस्कृत साहित्य चौर्य चातुर्य से भरा हुआ है । बिल्हण की चौर पंचाशिका विप्रलंभ श्रंगार की अद्भुत पठनीय रचना है ।
अंग्रेज़ी में साहित्यिक चोरी को plagiarism कहते हैं , वे भी इससे नहीं बच सके । फिर भी चोरों के लिए कतिपय विधि निषेध प्रख्यात चोरों ने निर्धारित किए हैं जो इस घोर कलियुग में लुप्त हो गए हैं । आज मनमोहन पुष्करणा जी ने बताया कि कि मेरी एक पोस्ट सोशल मीडिया पर मेरा नाम हटा कर वाइरल हो रही है । नाम बना रहने देते तो कोई हर्ज न था । लेकिन चोर सबसे पहले चोरी के सामान से मालिक की पहचान मिटाने का काम करता है सो यह चौर्य धर्म का निर्वहन ही हुआ ।

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कुमार विश्वास जैसे लोग कन्हैया लाल बाजपेयी की कविता सोने के हिरन नहीं होते अपने नाम से सुना देते हैं । मुनव्वर राणा पर भी चोरी के आरोप लग चुके हैं ।

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चोरी हो या कोई भी अपराध मनुष्य को अपने विवेक को उसका औचित्य समझाना पड़ता है तभी वह कुपंथ पर पहला पाँव रख पाता है । जितने भी आतंकी फिदाईन और लुटेरे हैं सबके पास अपने कर्मों का औचित्य है तभी वह यह सब कर पाते हैं ।

मृच्छकटिकम् का चोर शर्विलक चोरी के पक्ष में तर्क देकर इस तरह स्वयं को समझाता है,

कामं नीचमिदं बदन्तु पुरुषाः स्वप्ने तु यद्वर्द्धिते
विश्वस्तेसु त वंचनापरिभवश्चौर्यं न शौर्यं हि तत् ।
स्वाधीना वचनीयतापि हि वरं बद्धो न सेवाञ्जलिः
मार्गों ह्येष नरेन्द्र सौप्तिकवधे पूर्वं कृते द्रोणिना ॥

काम तो यह नीच ही माना जाता है कि सोते हुए लोगों को उनके सामान से वंचित कर दिया जाये यह कोई शौर्य का काम तो है नहीं फिर भी स्वतंत्र और स्वाधीनता पूर्वक किया जाने वाला यह काम बद्ध अंजलि के साथ सेवा करने वाले सेवक से तों कहीं बेहतर है । पहले भी द्रोणपुत्र अश्वत्थामा चोरी से द्रोपदी के कक्ष में घुस कर पांडवपुत्रों का वध कर चुके हैं ।

चोरों की प्रेमिकाएँ भी होती हैं बल्कि बहुत से चोर तो प्रेमिकाओं के लिए ही चोरी करते हैं । सुल्ताना डाकू अपनी प्रेमिका से कहता है कि

प्यारी कंगाल किसको समझती है तू
कोई मुझ सा तवंगर न रश्क़े क़मर ।
जो मैं चाहूँ तो दम भर में लाऊँ तुझे
मेरी दौलत जमा है अमीरों के घर ॥

बहुत से लेखकों के लिए भी सोशल मीडिया बहुत बड़ा ख़ज़ाना है जहाँ से वे कुछ भी उठा कर प्रेमिका के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं । समस्या तब होती है जब किसी का बड़ी मेहनत से लिखा गया उपन्यास ही चोरी करके कोई अपने नाम से छपवा देता है ।
सोनाली मिश्रा जी आजकल बहुत परेशान हैं कि उनका चर्चित उपन्यास नेहा की लव स्टोरी किसी ने चुरा कर पॉकेट एफ एम पर अपने नाम से डाल दिया है ।

हम न लेखक न लेखक की दुम नाहक़ एक पोस्ट की चोरी को दिल पर ले रहे हैं ।

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार है)

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