धर्म परिवर्तित किए हुए लोगों के लिए “कनवर्टेड हिन्दू” शब्द का उपयोग कैसे गेमचेंजर साबित हो सकता है?
-अजीत सिंह की कलम से-
Positive India:Ajit Singh:
कुछेक साल पहले सुशांत सिंह राजपूत अभिनीत एक फिल्म आई थी #छिछोरे..।
हालांकि,फिल्म का नाम छिछोरे जरूर था और फिल्म थोड़ी कॉमेडी स्टाइल की थी,लेकिन उसमें एक महत्वपूर्ण मनोविज्ञान दिखाया गया था….जिसे आपको समझना चाहिये!
फिल्म की थीम को एक लाइन में कहा जाए तो उस फिल्म की थीम थी …”मन के हारे हार है, मन के जीते जीत”…….अर्थात…!
उसमें दिखाया गया था कि अगर आपमें कॉन्फिडेंस नहीं है तो फिर आप सक्षम होते हुए भी किसी काम को नहीं कर पाओगे और अगर आपमें कॉन्फिडेंस कूट कूट कर भरा हुआ है तो आप असंभव काम को भी संभव कर दिखाओगे….!
महामद को आप चाहे जैसा भी कहो लेकिन वो इंसानों के इस मनोविज्ञान को अच्छी तरह समझता था इसीलिए उसने अपने जेहादी सेना को एक कॉन्सेप्ट दे दिया कि … “तुम विजेता हो और तुम्हारा जन्म धरती पर राज करने के लिए हुआ है….तुम्हें छोड़कर धरती पर बाकी जितने भी लोग हैं वे सब तुम्हारे गुलाम हैं और तुम उनके साथ चाहे जैसा भी व्यवहार कर सकते हो”……….उसका ये कॉन्सेप्ट बेहद सफल रहा और तलवार के खौफ मे आकर कटपीस बनने वालों की पीढ़ी दर पीढ़ी से लेकर आज तक चला आ रहा है….आज भी जब कोई इंसान कन्वर्ट होकर मूतलमान बनता है तो वो खुद को इस धरती का मालिक समझने लगता है……भले ही वो पंचर बनाता हो अथवा उसकी माँ बहनों का दिन रात हलाला होता हो लेकिन वो खुद को समझता राजा ही है…!
यही कारण है कि,मुतलमान भले ही दुनिया के किसी भी कोने में रहें,वो ताकतवर होते ही ही वहां के स्थानीय कानून को मानने से इंकार करते हैं और हर जगह खुद का शरिया कानून लागू करने की चाह रखते हैं…और.ये इसी कॉन्सेप्ट का प्रभाव है कि दुनिया में चाहे कहीं भी कोई आतंकवादी हमला हो तो बाकी के सारे मुतलमान उसपर चुप्पी साध लेते हैं क्योंकि उन्हें इसमें कोई बुराई नहीं आती…..उनके मन में ये कभी आता ही नहीं है कि कहीं कुछ बुरा या गलत हुआ है, बल्कि उन्हें ये लगता है कि गैर मुत्लिम हमारे गुलाम थे…और गुलामों के साथ हम चाहे जैसा भी व्यवहार करें..वो गलत नहीं है…क्योंकि, ये धरती हमारी है और किसी गैर इस्लामिक राजा के अधीन रहना हमारी तौहीन है……!!
2002 की घटना के बाद मोई जी से उनकी नफरत की भी यही वजह है कि ,हस हमारी मर्जी थी कि हमने 58 या 60 हिन्दुओं को ट्रेन में जलाकर मार दिया…….क्योंकि,
गैर मुत्लिमो या कहें कि काफिरों के लिये ये करना तो हमारा जन्मसिद्ध मुतलमानी अधिकार है………….मार खाने के बाद आखिर कोई गुलाम कैसे हम विजेताओं पर पलटवार कर सकता है!!
अपने इसी काल्पनिक,थोथे,खोखले विजेता कॉन्सेप्ट के कारण ही उन्होनें 1920 के #मोपलानरसंहार या फिर 1946 के #डायरेक्ट_एक्शन_डे ,1947 के दंगे या 1990 में हुए #कश्मीरनरसंहार में कोई बुराई नजर नहीं आती है….कहने का मतलब है कि ये एक कॉन्सेप्ट अथवा विचारधारा की लड़ाई है….इसको समझिये….!!!!
इसीलिए,
विचारधारा की इस लड़ाई को विचारधारा से ही लड़ना सबसे बेहतर रहेगा………तो हम जानते हैं कि ये सब उनके इस सोच के कारण हो रहा है कि वे खुद को विजेता और योद्धा समझते है…..!!
उनके इस कॉन्सेप्ट की काट के लिए मेरी सलाह ये है कि…हिंदुस्तान में रहने वाले मूतलमानों को अब मूतलमान न कहकर
सिर्फ #कन्वर्टेड_हिन्दू कहना चाहिये.…………हर जगह… हर टॉपिक पर… हर लेख में… हर बातचीत में उन्हें हमेशा #कन्वर्टेड_हिन्दू या #भगोड़े_हिन्दू ही कह कर बुलाया जाए या लिखा जाय….इससे होगा ये कि…. एक ओर जहां हमारे हिन्दू समुदाय में आत्मविश्वास का संचार होगा कि हम कन्वर्टेड /भगोड़े नहीं हैं…
बल्कि,हम असल नस्ल के सच्चे हिंदुस्तानी हैं….हमने दुश्मनों से 1000 साल तक लड़ाइयां लड़कर अपने अस्तित्व को बचाये रखा है…….जबकि…. दूसरी तरह उनका आत्मविश्वास टूटेगा कि वे कोई राजा अथवा विजेता विजेता नहीं हैं…बल्कि,वे तो वे तो ऐसे कायर और नपुंसक हिन्दुओं की औलादें हैं जिन्होंने मुगलों और तुर्को के तलवार को देखते ही डर के मारे अपनी सलवारें उतार दी थी…..विश्वास करिये कि..अगर ये ट्रेंड चल गया तो कुछ समय बाद उनके कॉन्फिडेंस टूट जाएगा और परिणाम स्वरूप उनकी कट्टरता में काफी परिवर्तन आ सकता है…साथ ही ऐसा करने से.,हिंदुस्तान में धर्म परिवर्तन के खिलाफ भी काफी जागरूकता लायी जा सकती है…क्योंकि!!
अगर ये स्थापित हो गया तो फिर इसके बाद कोई भी इंसान मूतलमान में कन्वर्ट होने के बाद खुद को विजेता या योद्धा महसूस नहीं करेगा बल्कि खुद को कायर और भगोड़ा मानकर अपमानित महसूस करेगा…..और, सबसे मजे की बात है कि इसके लिए आपको कोई official या Bill पास नही करना है…..बस,आप सभी सामान्य बोलचाल की भाषा मे “मुसरिम शब्द” की जगह ” कनवर्टेड हिन्दू” शब्द का उपयोग करे…
और,गेम चेंज कर दें.
जब हम सोशल मीडिया के माध्यम से फिल्में हिट और फ्लॉप करवा सकते हैं…सरकारें बना और गिरा सकते हैं….खान्ग्रेस और सारे सेक्युलर दलों को अपनी एकजुटता से पानी पिला सकते हैं…तो फिर, हम ये परिवर्तन भी ला ही सकते हैं….क्योंकि, इसमें मुश्किल अथवा आपत्तिजनक कुछ भी नहीं है….तो .कनवर्टेड को उनकी असलियत बताने के लिये आप हैं तैयार??
#साभार_वाया_WA
#वंदेमातरम्
#Ajit_Singh
साभार:अजीत सिंह-(ये लेखक के अपने विचार है)