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कोवी़शील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभावों पर सवाल करनेवाले कैसे भूल जाते हैं कि इस वैक्सीन ने भारत को विश्वव्यापी महामारी से बचा लिया

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India:Rajkamal Goswami:
मथुरा में एक बार मुझे बुख़ार हुआ । रहस्यमय बुख़ार जो किसी दवा से न उतरा । डॉक्टर फेल हो गये तो लगभग बीस दिन बाद मैंने बाज़ार से एस्पिरिन मंगाई और दो गोली पानी में घोलकर पी लीं । पसीना आकर बुख़ार ऐसा ग़ायब हुआ कि बरसों तक दुबारा नहीं आया ।

वर्षों से चिकित्सकों ने बुख़ार के लिए एस्पिरिन(Aspirin )लिखना बंद कर रखा है । इसके सैकड़ों साइड इफ़ेक्ट हैं, पेट का अल्सर इसमें मुख्य है लेकिन एस्पिरिन की ईजाद चिकित्सा जगत की एक बड़ी घटना है । एस्पिरिन के आविष्कार के बाद बायर कम्पनी की क़िस्मत ही चमक गई ।

एस्पिरिन के आविष्कार के लगभग पचास वर्ष बाद यह पता चला कि यह दवा हृदयाघात रोकने के लिए रामबाण दवा है । इसकी अल्प मात्रा के नियमित सेवन से हृदयाघात और ब्रेन स्ट्रोक दोनों का ख़तरा कम होता है । जो दवा कभी दर्दनिवारक और एंटीपायरेटिक के रूप में बाज़ार में आई थी वह आज हृदय रोगियों के लिए जीवन रक्षक दवा बन गई है ।

लेकिन ऐसी कोई दवा नहीं है जिसका कोई दुष्प्रभाव न हो यहाँ तक कि ईसबगोल भी क़ब्ज़ के रोगियों में निर्भरता पैदा करता है ।

कोवी़शील्ड वैक्सीन(Covishield Vaccine)के दुष्प्रभावों पर सवाल करनेवाले भूल जाते हैं कि इस वैक्सीन ने भारत में कोविड(COVID) के विरूद्ध एक सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित की और विश्वव्यापी महामारी से भारत को बचा लिया । जिन्हें खून में थक्का जमने का ख़तरा है वे ७५ मिलीग्राम की एस्पिरिन नियमित रूप से रात के खाने के बाद लें पर अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य कर लें ।

जिन्हें राजनीति करनी है वे कोविड से बचे ही राजनीति करने लिए हैं तो खूब राजनीति करें । सरकार महामारी से देश को बचा चुकी है इसलिए ज़िन्दा रहने का लाभ उठायें ।

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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