मोदी नाम का एक दीमक कांग्रेस को चाट कर कैसे खत्म किए जा रहा है?
-दयानंद पांडेय की कलम से -
Positive India:Dayanand Pandey:
बहुत शोर था एक समय कश्मीरियत का। अब पंजाबियत का सुन रहा हूं। समझ नहीं आता कि हिंदुस्तानियत कहां है फिर ? एक 370 ने कश्मीरियत के आतंक की तो सारी अकड़ उतार दी। पंजाबियत के आतंक की अकड़ ढीली करने के लिए कौन सी तजवीज है भला। पहले साल भर दिल्ली घेरी। लालक़िला पर अभद्रता की तिरंगे के साथ। हिंसा के आगे झुक कर नरेंद्र मोदी ने एक ऐतिहासिक भूल की कि माफ़ी मांग कर कृषि बिल वापस ले लिए। अब प्रधान मंत्री का काफिला रोका गया पंजाब में ऐन पाकिस्तानी सरहद पर। और बताया जा रहा है कि यह पंजाबियत है।
कश्मीर के लिए कड़क नरेंद्र मोदी पंजाब के लिए मुसलसल मज़बूरी का नाम महात्मा गांधी पर अमल किए जा रहे हैं। अब तो पाकिस्तानी मीडिया भी मजे ले कर ही सही बता रही है कि मोदी की हत्या हो सकती थी। सारे एक्सपर्ट कह रहे हैं कि मोदी की हत्या हो सकती थी। पूरी दुनिया कह रही है कि मोदी की हत्या हो सकती थी। ग़नीमत बस एक यही थी कि इस पूरे प्रसंग का किसी चैनल पर लाइव टेलीकास्ट नहीं हो रहा था। हो रहा होता तो पक्का जानिए पाकिस्तान किसी सूरत नहीं चूकता। टेलिस्कोपिक गन या ड्रोन हमला बहुत आसान था पाकिस्तान के लिए। याद कीजिए मुंबई हमला। जिस में टी वी चैनलों पर लाइव देखते हुए पाकिस्तान अपने आतंकियों को काशन दे रहा था। लेकिन कांग्रेस और कांग्रेस के खलासी कम्युनिस्टों का मानना है कि यह मोदी का ड्रामा है। ड्रामा इस लिए रचा ने कि 70 हज़ार कुर्सियों पर सिर्फ़ 500 लोग बैठे थे। यह कौन सा कुतर्क है भला।
अगर ऐसा था ही तो फ्लाई ओवर पर जाम लगाने की साज़िश रचनी ही क्यों थी। अरे मोदी जाते। 500 लोगों को एड्रेस कर अपनी फ़ज़ीहत करवाते। आप को ज़्यादा मज़ा आता। सुबह की ख़ाली कुर्सियों का वीडियो और फ़ोटो जारी कर मजा लेने के बजाय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया जब प्रधान मंत्री के न आ पाने के लिए माफ़ी मांग रहे हैं तब की वीडियो और फ़ोटो देखिए और दिखाइए। सारी कांग्रेसियत और पंजाबियत खुल कर सामने आ जाएगी। मोदी नाम का एक दीमक कांग्रेस को कैसे चाट कर खत्म किए जा रहा है , कांग्रेसी इस तथ्य से जाने कब वाकिफ़ होंगे। रस्सी जल गई है , पर बल नहीं गया है।
बस इस पूरे प्रसंग पर मोदी के प्रबल विरोधी तीन-तीन मुख्य मंत्री ग़ज़ब चुप्पी साधे हैं। अरविंद केजरीवाल , ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे हां , एक एन डी टी वी भी जो कोरोना को ही अपनी पहली ख़बर बनाए हुए है। इस ख़बर को रुटीन और संक्षिप्त ख़बर ही बनाया है। ब्लैक आऊट नहीं किया है। पर टेलीग्राफ , वायर आदि ने भी अभी तक इस प्रसंग पर मोदी का मजाक नहीं उड़ाया है। प्रतीक्षा है कि यह लोग कब और कैसे मजाक बनाते हैं। बाक़ी इटली वाले पप्पू भइया भी खामोश हैं। ननिहाल से भी नो ट्वीट। अय्यासी से फुरसत नहीं मिली होगी।
अखिलेश यादव ने ख़ुद तो नहीं कुछ कहा अभी तक पर उन के प्रवक्ताओं को जैसे सांप सूंघ गया है। और कह रहे हैं कि यह सारा ड्रामा उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा कर रही है। बताइए कि मजमा लगा है , पंजाब में। आंच आ रही है , उत्तर प्रदेश में। तब जब कि बकौल अखिलेश भगवान कृष्ण उन के सपने में रोज आते हैं और कहते हैं कि समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी। यह भी ग़ज़ब ही है कि अब बक़ौल ओवैसी मेरे ख्वाब में मुसलमान आते हैं, कहते हैं अब सपा को नहीं देंगे वोट। और अखिलेश यादव कहते हैं , इस पर वह जवाब नहीं देंगे। कहां से कहां चली गई है राजनीति। भारतीय राजनीति। कश्मीर है , कश्मीरियत है। पंजाब है , पंजाबियत है। पर इस भारत में भारतीयता कहां है? हिंदुस्तानियत कहां है? सपने में भगवान कृष्ण हैं , मुसलमान हैं , पर सामान्य आदमी कहां है?
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)