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एक मोदी की तानाशाही छवि के कितने स्टेकहोल्डर्स ?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
ऐतिहासिक रिकॉर्ड को देखते हुए कि भारत ही जीतेगा, जुआरियों ने सट्टा बाजार में भारत-पाक टूर्नामेंट पर भारी दांव लगा दिया था।

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दांव लगाना अच्छी बात है लेकिन भारी नहीं पड़ना चाहिए। सट्टा बाजार का सीधा गणित है दांव पलट ही जाएगा जब भारी होगा। परिणाम हुआ कि जुआरियों को भारत पाक मैच में सबक मिला।

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ठीक यही मानकर कि मोदी तो कानून पलटेगा नहीं, आंदोलनजीवियों ने दांव लगा दिया। इतना तक तो ठीक था। लेकिन दांव तब भारी हो गया, जब खेल में कांग्रेस भी आ गया, खालिस्तानी भी आ गया, पाकिस्तान भी आ गया, चाइना भी आ गया, कनाडा भी आ गया। अब भाई एक मोदी की तानाशाही छवि के कितने स्टेकहोल्डर्स बनोगे?

अब इतने दांव लगाओगे तो तमाम जुआरियों, खालिस्तानियों, आतंकवादियों, चीनियों, पाकिस्तानियों को औकात में लाने के लिए मोदी कानून क्यों नहीं पलट सकता? अब बस यह तुम अंदाज लगाना छोड़ दो कि मोदी क्या कर सकता है और क्या नहीं। दिखा दिया है मोदी कि मोदी कुछ भी कर सकता है, बस तुम उस पर दांव खेलने के काबिल नहीं हो।

तुम्हें सोचना चाहिए जो महबूबा से इश्क भूना सकता है, वह कानून क्यों नहीं पलट सकता। मोदी ने कानून पलटा, तो किसानों से माफी मांग ली। उन किसानों से नहीं जो आंदोलन कर रहे थे, बल्कि उन किसानों से जिन्हें वास्तव में इस कानून का लाभ मिलता। किसान मोदी को माफ भी कर देंगे। मोदी को वोट भी देंगे।

अब तुम अपनी सलामती सोचो। भारत के खिलाफ जिस खतरनाक स्थिति तक पहुंचने के लिए तुम्हें साल भर लगे, उतना होमवर्क अजीत डोवल ने मजबूत कर लिया है। इतने होमवर्क से भारत अच्छे-अच्छे फैसले लेने के लिए तैयार हो चुका है।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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