Positive India:Mymbai;8 October 2020:
अरनब गोस्वामी ने गलत नहीं कहा था…!!!
लगभग साढ़े तीन वर्ष पूर्व 6 मई 2017 को अरनब गोस्वामी ने जब अपना रिपब्लिक चैनल लॉन्च किया था, उस समय अरनब ने कहा था कि दिल्ली में अड्डा बनाकर बैठी ढपोरशंखी लुटियनिया मीडिया द्वारा की जा रही एजेंडेबाज पत्रकारिता को मैं उसकी औकात बताऊंगा. दिल्ली के लुटियनिया अड्डों में बैठे मुट्ठी भर मीडिया माफियाओं/दलालों के द्वारा बंधक बना ली गयी पूरे देश की पत्रकारिता को उनके शिकंजे से मुक्त कराऊंगा। इन लुटियनिया अड्डों के मीडिया माफियाओं/दलालों द्वारा दूषित कलंकित कर दी गयी पत्रकारिता का मैं चेहरा बदल दूंगा।
मित्रों लगभग साढ़े तीन वर्ष पहले अरनब गोस्वामी द्वारा किए गए उस दावे वायदे से आज मैं पूर्णतः संतुष्ट हूं।
आज साढ़े तीन वर्ष बाद निश्चित रूप से यह कह सकता हूं कि अरनब गोस्वामी ने देश में पत्रकारिता का चेहरा और चरित्र बदल डाला है। लुटियनिया अड्डों में बैठे मीडिया माफियाओं/दलालों को उनकी औकात बताने में अरनब गोस्वामी को शत प्रतिशत सफ़लता मिली है। देश में मनचाहा मनमाना एजेंडा चलाने और उस एजेंडे को स्थापित कर देने की लुटियनिया अड्डों के मीडिया माफियाओं/दलालों की ताकत की अरनब गोस्वामी ने धज्जियां उड़ा दी हैं। अपनी तेज तर्रार, धारदार, तीखी पत्रकारिता से अरनब गोस्वामी ने लुटियनिया अड्डों के मीडिया माफियाओं/दलालों से देश में मनमाना मनचाहा एजेंडा सेट करने की ताकत छीनकर उन्हें कंगाल, बेहाल, बदहाल कर दिया है.
मेरा यह निष्कर्ष कोरी लफ्फाजी मात्र नहीं है। मेरे उपरोक्त निष्कर्ष की निर्णायक पुष्टि करने वाले तथ्यों की सूची पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान बहुत लम्बी हो चुकी है। इसलिए मैं यहां केवल तीन बिल्कुल ताजा तथ्यों से आपको परिचित करा रहा हूं।
सबसे ताजा उदाहरण है हाथरस की घटना। हम सबने देखा है कि लुटियनिया अड्डों के मीडिया माफियाओं/दलालों का गिरोह खबरों के नाम पर हाथरस की घटना पर लगातार 4-5 दिन तक शत प्रतिशत सफ़ेद झूठ बोलकर, केवल एक पक्ष की बात दिखा सुनाकर, देश, विशेषकर उत्तरप्रदेश में जातीय दंगों की आग भड़काने का एजेंडा सेट कर रहा था। लेकिन केवल तीन दिन पहले हाथरस पहुंचे अरनब गोस्वामी के रिपब्लिक चैनल ने अंगारों की तरह दहकते पुख्ता तथ्यों साक्ष्यों के साथ हाथरस का सच देश को दिखाना सुनाना बताना शुरू किया था। पूरा देश उस सच को देख सुन कर चौंक गया था। अत्यन्त आक्रामक अंदाज में ठोस साक्ष्यों के साथ हाथरस का सच देश को बता रहे अरनब गोस्वामी की धारदार पत्रकारिता के प्रचंड प्रहारों को लुटियनिया अड्डों के मीडिया माफियाओं/दलालों का गिरोह कुछ घंटे भी नहीं झेल पाया था और उसने पूरी तरह घुटने टेक दिए थे। हाथरस के सुलगते हुए सच से मुंह चुराना लुटियनिया अड्डों के मीडिया माफियाओं/दलालों के गिरोह के लिए असम्भव हो गया था। हाथरस के गांवों की गलियों से लेकर सोशल मीडिया के साइबर चौराहों तक देश की जनता अपने जूतों की बरसात के साथ लुटियनिया अड्डों के मीडिया माफियाओं/दलालों के गिरोह की जमकर खबर लेने लगी। लुटियनिया अड्डों के मीडिया माफियाओं/दलालों के गिरोह थी।
हम सबने यह सच भी भलीभांति देखा और सुना है कि हाथरस कांड से ठीक पहले सुशांत सिंह राजपूत की संदेहास्पद मृत्यु पर तथा उससे ठीक पहले पालघर में साधुओं की हत्या पर देश के सामने सफ़ेद झूठ परोसने में जुटे लुटियनिया अड्डों के मीडिया माफियाओं/दलालों के गिरोह पर भी अरनब गोस्वामी की धारदार पत्रकारिता के प्रचंड प्रहारों का कहर जब बरसना शुरू हुआ तो इस गिरोह ने तत्काल अपने घुटने टेक दिए थे और देश को सच दिखाने बताने के लिए ये गिरोह मजबूर हो गया था।
उपरोक्त तीन ताजा उदाहरणों के अलावा राफेल, जस्टिस लोया और चीन के साथ टकराव की स्थित सरीखे अनेकानेक मुद्दों पर देश के समक्ष सफ़ेद झूठ परोसने का कुकर्म कर के देश में अविश्वास अस्थिरता अराजकता फैलाने वाला एजेंडा सेट करने में जुटे लुटियनिया अड्डों के मीडिया माफियाओं/दलालों के गिरोह के लिए अरनब गोस्वामी की धारदार पत्रकारिता के प्रचंड प्रहार बहुत घातक मारक सिद्ध हुए थे और ये गिरोह उन सभी मौकों पर सच बोलने दिखाने के लिए मजबूर हो गया था।
इसीलिए साढ़े तीन वर्ष पूर्व अरनब गोस्वामी द्वारा किए गए इस वायदे दावे से आज साढ़े तीन वर्ष पश्चात मैं तो पूरी तरह से संतुष्ट हूं !!
साभार:सुजीत तिवारी-एफबी।