IC 814 का अपहरण करने वाले अपहरणकर्ताओं को हिन्दू देवों का नाम दे दिया गया
-सर्वेश कुमार तिवारी की कलम से-
Positive India: Sarvesh Kumar Tiwari:
नेटफ्लिक्स पर कन्धार विमान अपहरण मुद्दे पर एक वेब सीरीज आती है, जिसमें पङ्कज कपूर, नसीरुद्दीन शाह, दिया मिर्जा जैसे मजे हुए कलाकार हैं। और अचानक दर्शक देखते हैं कि विमान का अपहरण करने वाले तो भोला और शंकर हैं। मतलब आतंकियों को हिन्दू देवों का नाम दे दिया गया है।
बात इतनी ही नहीं है। सीरीज की कहानी बताती है कि तबकी भारत सरकार पूरी तरह निकम्मी है। पीएमओ में एक फोन रिसीव नहीं होता, जिसके कारण विमान अपहरण रोका नहीं जा सका। चलिये! मान लेते हैं। अब दूसरा पक्ष देखिये! पाकिस्तान की जनता इतनी ईमानदार है कि वह आतंकियों का विरोध करती है। एक पाकिस्तानी ऑपरेटर तो एक आयत पढ़ कर बताता है कि मजलूमों की जान लेना जिहाद नहीं है। फिल्म बताती है कि कन्धार विमान अपहरण के समय जो घटनाएं घटीं उसके दोषी केवल भारत के लोग हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, आतंकी आदि तो बस भटके हुए लोग हैं।
अनुभव सिन्हा जो कर रहे हैं वह नया नहीं है। वे उन लोगों में से हैं जो पैसे के लिए ईमान तो क्या, कुछ भी बेंच देंगे।
अनुभव इसके पहले मुल्क बना चुके हैं, जिसमें एक आतंकी का परिवार तो दूध का धुला दिखता है, और आतंकियों के विरुद्ध केस लड़ रहा वकील विलेन! पुलिस बुरी, वकील बुरा, समाज बुरा, अच्छा केवल आतंकी और उसका पिता। लगे हाथ आतंकी की भउजाई निकल आती हैं आरती मोहम्मद। एक हिन्दू इंटलेक्चुअल… फिल्म बताती है कि बहुसंख्यकों ने भारत में अल्पसंख्यकों के रहने लायक माहौल ही नहीं रहने दिया। वाह! बात है।
अनुभव सिन्हा आर्टिकल 15 नाम की फिल्म बनाते हैं जो एक वास्तविक घटना पर आधारित है। पर जानबूझ कर वे अपराधियों को जाति से ब्राह्मण दिखा कर घटना को ब्राह्मणों द्वारा दलित उत्पीड़न का रूप दे देते हैं, जबकि सत्य इसके बहुत दूर था।
अनुभव की पत्नी एक फ़िल्म बनाती है, ‘शादी में जरूर आना’, इस फ़िल्म में उसने एक साथ कई सामाजिक मुद्दों को उठाया है। पर यहां भी उसके भीतर की घृणा उजागर होती है, वह कहानी के लिए ब्राह्मण परिवार को चुनती है , और पात्रों से उस तरह की फूहड़ हरकतें करवाती है जो देश में कहीं भी सामान्य नहीं है।
उसने एक और फ़िल्म बनाई है, मिडिल क्लास लव। उसमें एक फ्रस्टेटेड लड़का है, जो मध्यमवर्गीय जीवन की परेशानियों से जूझ रहा है। इससे बचने के लिए वह एक अमीर लड़की को फँसा कर विवाह कर लेता है। लड़के की जात बताएं? बाभन।
दरअसल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़े और नसीरुद्दीन शाह के नेशनल सिनेमा इंस्टिट्यूट से निकले अनुभव उन लोगों में से हैं जिन्हें हिन्दू परंपराओं से घृणा है। वे जब टांग उठाएंगे तो गोबर ही करेंगे। बाकी इस देश में गोबर को मधु कह कर चाटने वाले बौद्धिकों की कमी नहीं है।
साभार:सर्वेश तिवारी श्रीमुख-(ये लेखक के अपने विचार हैं)
गोपालगंज, बिहार।