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परमाणु परीक्षण के बहाने और निशाने श्रीलंका के रास्ते पर भारत नहीं , पाकिस्तान चल पड़ा है , सेक्यूलर मतिमंदों !

-दयानंद पांडेय की कलम से-

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Positive India:Dayanand Pandey:
आप अपने को चंद्रशेखर का क़रीबी भी जब-तब बताते रहते हैं। आप को नहीं मालूम कि नरसिंहा राव , चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी की आपसी दोस्ती कितनी प्रगाढ़ थी ? पार्टी से ऊपर थी तीनों की दोस्ती। चंद्रशेखर और नरसिंहा राव अटल बिहारी वाजपेयी को गुरुदेव कह कर संबोधित करते थे। नरसिंहा राव ने अटल जी को विपक्ष का नेता होने के बावजूद पाकिस्तान को जवाब देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ भेजा था। आप भूल गए हैं। दोनों में कभी संवादहीनता नहीं थी। फिर भी इतनी महत्वपूर्ण बात नरसिंहा राव , अटल जी से सीधे न कह कर कलाम साहब से कहलवाएंगे ? अच्छा अटल बिहारी वाजपेयी क्या राहुल गांधी थे ? 24 दलों की मिलीजुली सरकार क्या मुफ्त में चला रहे थे ? इतने नादान थे कि इस तरह परमाणु परीक्षण करवाते ?

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परमाणु कार्यक्रम तीसियों साल से अधिक समय चला था। नेहरु के समय से। परमाणु फार्मूला चोरी भी हुआ था। कभी मोहनलाल भास्कर की आत्मकथा मिल जाए तो पढ़िएगा , मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था। बहुत सारे डिटेल हैं , उस में। अटल जी ने जब परमाणु परीक्षण करवाया तो उस का ऐलान किया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर। इंदिरा गांधी ने ऐलान किया था क्या 1974 में ? आप अध्यापक रहे हैं। रफ कॉपी और फेयर कॉपी का फर्क तो समझते ही होंगे ? कितने तो प्रतिबंध लगाए थे अमरीका ने। पहले से अमरीका धमका रहा था। कि खबरदार परीक्षण मत करना ! बहादुरी अमरीका को चुनौती देने में थी। परमाणु परीक्षण में तो थी ही।

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हर बात को पार्टीगत चश्मे से देखने की कुलत छोड़ दीजिए। कभी देश के सम्मानित नागरिक की तरह सोच लीजिए। भाजपा विरोध के और भी तरीक़े हैं। कुएं का मेढ़क मत बनिए। भाजपा अभी कम से कम दो-तीन दशक राज करेगी। तो सिर्फ़ इस लिए कि भाजपा विरोध में आप जैसे और राहुल गांधी जैसे निहायत कमज़ोर लोग , भोथरे और बचकाने औजारों के साथ खड़े हैं। अटल जी , देवगौड़ा या गुजराल जैसे आकस्मिक प्रधान मंत्री नहीं थे। न मनमोहन सिंह की तरह एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर थे। नैतिक और शुद्धतावादी थे अटल जी। उदारमना और कुशल राजनीतिज्ञ थे। बरसों की तपस्या और मेहनत के बाद प्रधान मंत्री बने थे। एक वोट से कहीं सरकार गिरती है ? पर अटल जी ने संसद में कहा था कि चिमटे से भी ऐसा बहुमत नहीं छुऊंगा। आप के नेता जी मुलायम सिंह यादव वैसे ही नहीं अटल जी के दोनों पैर छू कर आशीर्वाद लेते थे। और अटल जी भी उन्हें गले लगा कर , पीठ पर धौल जमाते हुए शुभाशीष से लाद देते थे। कम से कम दो बार तो मैं ने लखनऊ के राजभवन में ऐसा देखा है।

सच बताऊं अब आप की राजनीतिक टिप्पणियां पढ़ कर लगातार स्पष्ट होता जा रहा है कि आप भले समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से हों। इन के उन के साथ फ़ोटो खिंचवाते रहे हों। पर पोलिटिकल जर्म्स आप में नहीं हैं। यह मान लीजिए। राजनीतिक परिपक्वता और बचपना आप का राहुल गांधी के स्तर का हो गया है। सरकार की आलोचना और विरोध डट कर कीजिए। पर मुहल्ले के बच्चों की तरह नहीं। राहुल गांधी की तरह नहीं। नरेंद्र मोदी की भाजपा का विरोध बच्चों की तरह गांव की गड़ही के पानी में छपकी मार कर नहीं हो सकता। यह बात जितनी जल्दी समझ सकें भाजपा और नरेंद्र मोदी विरोधी बेहतर होगा।

अब देखिए न राजद्रोह क़ानून ख़त्म करने की पहल नरेंद्र मोदी ने ख़ुद की है। बहुत से क़ानून ख़त्म किए हैं , पहले भी। लेकिन विपक्ष और आप जैसे लोग इस की क्रेडिट सुप्रीम कोर्ट को देते नहीं अघा रहे हैं। मालूम है कि इस राजद्रोह क़ानून का सब से अधिक दुरुपयोग करने वाले कौन राज्य हैं ? बिहार , पश्चिम बंगाल , तमिलनाडु , केरल और महाराष्ट्र। लेकिन जनता जनार्दन को तो आप लोग मूर्ख समझते हैं। जैसे कि जनता कुछ जानती ही नहीं। समझती ही नहीं।

श्रीलंका की आग में भारत का भविष्य ढूंढते हैं आप जैसे लोग। टिप्पणियां पढ़ कर लगता है कि विपक्ष की मनोकामना है कि भारत में भी श्रीलंका वाली आगजनी हो। मोदी फूंक दिया जाए। भूल जाते हैं यह मनोकामना करते हुए कि श्रीलंका , चीन का उपनिवेश बन चुका है। सब कुछ चीन करवा रहा है श्रीलंका में। लेकिन भारत किसी का उपनिवेश नहीं है। यूक्रेन और रुस दोनों ही भारत में अपना मध्यस्थ खोजते हैं। अमरीका का डिक्टेशन नहीं सुनता है , अब भारत। जैसे मनमोहन सिंह के समय में सुनता था। नहीं जानते हैं तो जान लीजिए यूरोप दौरे के बाद ग्लोबल लीडर की रैंकिग में भारत का प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नंबर एक पर है। इस पर आप मित्रों की तकलीफ स्वाभाविक है। पर जानिए कि भारत श्रीलंका के रास्ते पर नहीं है। श्रीलंका के रास्ते पर पाकिस्तान है। पाकिस्तान के प्रधान मंत्री अपनी कंप्लीट कैबिनेट के साथ लंदन चले गए हैं। मंहगाई और चीज़ों की किल्लत से पाकिस्तान में भी आग लगी हुई है। क्यों कि पाकिस्तान भी अब चीन का उपनिवेश है।

[एक समाजवादी मित्र की पोस्ट पर मेरा यह कमेंट]

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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