Positive India:Gajendra Sahu:
भारत विविधता में एकता का देश है । यहाँ हर राज्य की अपनी अलग- अलग भाषा,बोली,त्योहार,कला-संस्कृति,वेश-भूषा,पकवान है पर इतनी सारी विविधताओं में एकता का प्रतीक है हमारा भारत । हर राज्य एक दूसरे के कला- संस्कृति और त्योहार को अपनाने में कभी नहीं हिचकिचाते । हर राज्य की पहचान वहाँ की कला- संस्कृति और त्योहार के आधार पर होती है । भारत की कला- संस्कृति के तो विदेशी भी क़ायल है । इसलिए भारत कई त्योहार विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है ।
जिस प्रकार मानसून दक्षिणी- पश्चिमी हवाओ से होकर केरल से प्रवेश कर भारत में वर्षा करती है उसी प्रकार छत्तीसगढ़ के हरेलि तिहार से त्योहारों का आगमन होता है ।
हरेलि के दिन गाँव में सुबह से ही रौनक़ रहती है । इस दिन गेडि,फुगड़ी,कबड्डी जैसे खेलो का आयोजन किया जाता है । गेडि(लकड़ी या बॉस से बना एक चलने का साधन है) इसे पहले बनाया जाता है फिर इसकी पूजा की जाती है । इसके उपरांत गेडि में चढ़कर छत्तीसगढ़ की पारंपरिक लोक गीत में नृत्य किया जाता है । गेडि दौड़ कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है । साथ ही साथ फुगड़ी और कबड्डी खेल कर इस त्योहार का आनंद लिया जाता है ।
इस दिन घरों में गुलगुला भाँजियाँ और चिला रोटी बनाया जाता है । बैलों और गायों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है । ऐसी मान्यता है कि इस दिन टोनहि सक्रिय होती है जिससे बचने के लिए हर घर में नीम की डाली लगाई जाती है ताकि टोनहि या प्रेत आत्मा घर में प्रवेश न कर सके ।
इस दिन कृषि से सम्बंधित सभी औज़ार जैसे नंगार , रापा,कुल्हाड़ी को ठीक से धो साफ़ कर उसकी पूजा की जाती है । गौ माता को आटा से बनी लोई में जड़ी- बूटी व औषधि,कांदा भर कर खिलाया जाता है जिससे उन्हें बरसात में होने वाले रोगों से लड़ने की क्षमता प्राप्त होती है।
तो ऐसा है हमारा छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार हरेलि । पहली बार छत्तीसगढ़ में किसी सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के लोगों की भावना,कला-संस्कृति और त्योहार का मान रखते हुए हरेलि के दिन छत्तीसगढ़ में सरकारी अवकाश की घोषणा की गई है ।
तो चलिए फिर आप और हम सब मिलकर इस पहले त्योहार का आनंद अपने आस-पड़ोस,दोस्त,परिवार के साथ ले ।
जय जोहार , जय छत्तीसगढ़
लेखक:गजेन्द्र साहू।