नारी शक्ति के लिये दिल से एक अवाज है नारी शक्ति जिन्दाबाद है
Happy Women's Day
Positive India:Raipur:8 March:
वह माँ है, वह बहन है, वह महबूब है,,,
इनके बिना न हम है ,न हमारा वजुद है ।
ये चंद पंक्तिया केवल पंक्तिया शेष नही अपितु यथार्थ की वह भावना है जिसके चारो ओर मनुष्य का सम्पुर्ण सफल जीवन है।
नारी पर आप कितना भी लिखे शब्दो के अभाव जरुर पडेंगे , आप कितना ही इन्हे अपनी बातो से पिरो ले पर कुछ भावनाएँ शेष रह ही जायेगी।
एक छोटा सा दुस्साहस मेरी कलम आज कर रही है कि नारी शक्ती पर मै भी कुछ कह सकूँ।
नारी जीवन एक बेटी से शुरू होकर किसी के घर की इज्जत बनने तक और बच्चे पैदा कर पोता-पोतियो के सुख भोगने मात्र नही अपितु उस परिवार मे , उस कुल मे, उस समाज मे , उस शहर , उस राज्य , उस देश मे अपने अधिकारो का प्रयोग कर अपने स्वाभिमान से जीने के साथ-साथ अपने से जुडे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लोगो को गौरवान्वित पल देंने से भी है ।
आज महिलाएँ , पुरुषो से कंधे से कंधा मिलकर आगे बढ़ रही है । घर के काम से लेकर सामजिक, आर्थिक व राजनीतिक क्षेत्र मे निपुणता के उदहारण आज हर गली-मोहल्ले मे मिलेगी।
पर यहाँ इस बात से भी इन्कार नही किया जा सकता कि समय और घर की पाबंदियो से इनकी इच्छाएं व भावनाएँ किसी स्वरूप मे आने से पहले ही दम तोड देती है। घर की मर्यादा और समाज के बनाएं गए नियम-कानून इन्हे कई बार ऐसे मोड़ पर ला खड़ा करते है जँहा इन्हे अपने सपनो से समझौता करना ही पड़ता है । फिर भी हमारे समाज मे कई ऐसे उदहारण पेश हुए जिसने नारी शक्ती की परिभाषा ही बदल कर रख दी ।
इतिहास के पन्नो को पलटते है तब 1840 मे जन्मी *सावित्री बाई फुले जी* जब स्कुल पढ़ने जाती थी तो उन पर रुढिवादी लोग पत्थर फेकते थे और उन्ही पत्थरो को उन्होने मील का पत्थर बनाकर भारत की पहली भरतीय महिला शिक्षिका होने का गौरव प्राप्त किया।
जब भारत का अंग्रेजो के खिलाफ पहला स्वतंत्रता संग्राम युद्ध हुआ तब 1857 मे हमे एक मात्र महिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी *महरानी लक्ष्मी बाई* के रुप मे मिली । जिन्होने अंग्रेजो को घुटनो मे लाने के लिये कोई कसर नही छोड़ी।जिनके बारे मे उनके प्रतिद्वंदी कैप्टन ह्युरोज ने कहा था – ये सभी लड़ने वालो मे एकलौती मर्द है।
1886 जिस समय मे महिलाओ को घर की देहरी पार करने की इजाजत नही थी उस समय मे *आनन्दी गोपाल जोशी जी* ने अमेरिका जाकर मेडिकल की डिग्री लेकर भारत की प्रथम महिला डॉक्टर बन मिशाल पेश की।
1966 जब भारत राजनीतिक समस्या से जूझ रहा था तब एक महिला ने सम्पुर्ण भारत का नेतृत्व किया । *आयरन लेडी* *इन्दिरा गाँधी जी* भारत की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री बन कर देश को बुलंदियो तक पहुचाने मे उन्होने अपनी जान की बाजी लगा दी।
जिस असमान और बहार की दुनिया की सैर हम केवल किस्से और कहानियों मे करते है उसे 1961 मे जन्मीं कल्पना ने साकार किया। *कल्पना चावला* भारत की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री है जिन्होने भारत को इस एतिहासिक पल से जोड़ दिया ।
उदहारण हजार है , यह तो कुछ नाम ही है जिनसे हम रुबरु है । न जाने कितनी हजारो , करोड़ो नारी शक्तीयाँ अपने परिवार और अपने देश का नाम रौशन कर रही है । और ये ऐसे ही आगे बढ़े , बढ़ते ही रहे। समस्त नारी शक्ति के लिये मेरे दिल से एक अवाज है,,, *नारी शक्ति जिन्दाबाद है* ।
लेखक:गजेन्द्र साहू