Positive India:Rajesh Jain Rahi:
एक बार भोले नेत्र, तीसरा भी खोलकर,
बैरियों का आप फिर, सर्वनाश कीजिए।
कुछ हैं असुर सीमा पार कुछ देश में हैं,
यथा योग्य आज आप, उन्हें दंड दीजिए।
भारती की लाज पर, कोई जो नजर डाले,
करके प्रहार आप, प्राण हर लीजिये।
प्रेम वाली गंगा मेरे, देश में न कभी सूखे,
जटाधारी जल देके, वसुधा को सींचिये।
लेखक:कवि राजेश जैन राही, रायपुर