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हम काले है तो क्या हुआ दिलवाले है

-गजेन्द्र साहू

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पॉजिटिव इंडिया: रायपुर;26अगस्त,
“काले गोरे का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है .. कुछ और न आता हमको हमें प्यार निभाना आता है”
” यशोमती माइयाँ से बोले नंदलाला राधा क्यूँ गोरी मैं क्यूँ काला ”
और न जाने कितने ही गानो में काले रंग का ज़िक्र कर फ़िल्मी परदों ने समाज को रंग भेद से दूर रहने की शिक्षा दी है । पर मुझे लगता है कि समाज ने भी ठान ली है इस भेद को जीवन भर बरक़रार ही रखेंगे ।
ज़रा इस बात पर ग़ौर कीजिएगा!किसी को नीचा दिखाने या चिढ़ाने के लिए हम कितनी आसानी से उसे काला, बिल्ली ,करिया या कालू कह देते है । और उसे बुरा भी लग जाता है । क्या हमने कभी किसी गोरे व्यक्ति को गोरा कहकर चिढ़ाया है ?या किसी व्यक्ति को गोरा कहने से उसे बुरा लगता है ? तो फिर काला कहने पर क्यूँ बुरा मान जाते है । या वह शब्द हमें अपमानित क्यूँ लगता है ?!
क्यूँकि हमारे समाज ने यह धारणा ख़ुद ही पैदा कर दी है कि गोरा होना एक अलंकरण है । गोरा रंग किसी की विशेषता बताने से सम्बंधित है । और काला होना लज्जित बात है । और काला रंग किसी व्यक्ति के उपहास करने से सम्बंधित है। लोग चालक भी है और डरते भी बहुत है । श्री राम को तुरंत गोरा बता देते है पर कृष्ण की बारी आती है तो लफ़्ज़ों में मिठास , संसकारो का चित्रण और लहजे में अदब आता है और उन्हें काला कहने की बजाए “श्याम” रंग से सम्बोधित करते है । भगवान से डर है इसलिए श्याम , इंसान से कैसा डर इसलिए सीधे काला । वाह भई वाह ।
ऐसा नहीं की सभी रंग-भेद करते है । समाज में कुछ लोग लोग ही ऐसी प्रवृत्ति के होते है जो रंग-भेद पर ज़ोर देते है और सारे समाज को हम इसका दोषी ठहरा देते है । पर समाज कोई भी हो मुझे ये समझ नहीं आता जब शादी-ब्याह की बात आती है तो अक्सर कई लोगों की यह पहली इच्छा व डिमांड होती कि बहु-दमांद गोरा-गोरी होने चाहिए । बाक़ी गुण, कुंडली, नक्षत्र, ब्रम्हाण्ड बाद में मिला लेंगे। अरे भैया ऐसा है कि तुम्हारे जैसे लोग हुए तो साँवलो के जीवन में शहनाई ही ना बजे ।
कुछ लोग वाक़ई में रंग-भेद नहीं करते तो अब आप मुझे ये बताइए कि ये साले फ़ेयरनेस क्रीम वालों की दुकान दिन-ब-दिन क्यूँ बढ़ते जा रही है । ये बहुत चालाक लोग है । ऐसे ही गोरे होने वालीं कम्पनी नहीं चलाते साहब । किसी बेहद गोरी हीरोइन को विज्ञापन में लाकर काली करके फिर गोरी कर देते है और हमें लगता है कि कुछ दिनो में हम भी ऐसे ही गोरे हो जाएँगे। क्या कभी ये जॉनी लीवर , नाना पाटेकर जैसे कलाकार को लेकर विज्ञापन बनाएँगे । मेरा दावा है कि इन्हें दुकान ही नहीं बल्कि कम्पनी ही बंद करनी पड़ेगी ।
क्रीम से नहीं पर इनके द्वारा बनाएँ गए विज्ञापनो से मुझे नफ़रत है । विज्ञापन में ये लोग करोड़ रुपए का चैलेंज लगाने को तैयार रहते है कि यदि आप 3 महीने में गोरे न हुए तो 5 करोड़ रुपए आपके । अरे भाई मैं तो पिछले 15 सालों से इसका प्रयोग कर रहा हूँ और मैं अब तक गोरा नहीं हो पाया । देख लो कितना रूपए बनता है ब्याज समेत दे दीजिए यदि सट्टेलमेंट की बात हो तो बता दीजिए । बीच का जो रास्ता निकलेगा हम आपस में समझ लेंगे ।
इनका और हमारा आत्मविश्वास देखते ही बनता है ।ये क्रीम के डब्बे के ऊपर काले से गोरे होने तक का मीटर बना देते है और हम क्रीम लगा लगाकर चेक करते है की हमारी स्थिति कहाँ तक पहुँची ।
विज्ञापन के हिसाब से यदि आपका रंग साँवला है तो बेटा । वॉट लग गई जिंदगी की तुम्हारे । न तुम्हारे जीवन में शादी होगी , न अच्छी नौकरी मिलेगी , न ही तुम सक्सेसफूल होगे । फिर अचानक तुम्हारे जीवन में आती है क्रीम वाली गोरी मेम । और ये क्या बे …। पूरा जीवन ही बदल गया अब तुम्हारा । तुम्हारी नौकरी लग गई । किसी रहिस घराने में शादी हो गई । हेलिकॉप्टर से तुमसे नेता मिलने को आ रहा है । कम्पनी वाले की बुआ साँस की क़सम 25 सेकंड का विज्ञापन ये एहसास दिला जाता है कि पढ़ाई छोड़ो ,नौकरी की तैयारी छोड़ो और ये 98/- (100/- रुपये में पूरे 2/- बचा लो , घर का राशन ख़रीदने के लिए) की क्रीम लगाओ और जीवन सफल बनाओ ।
यदि क्रीम से लोग गोरे होने लग जाए तो मेरा मानना है कि इसकी सबसे ज़्यादा खपत वेस्टइंडीज़ में अधिक होगी । भारत का क्रिकेट के साथ-साथ वेस्टइंडीज़ के साथ व्यापारिक रिश्ते भी मज़बूत होंगे । और भी कई देश है जिसे हम इसे सप्लाई कर अधिक से अधिक धन काम सकते है । और देश की जीडीपी बढ़ने के भी अवसर निकल सकते है ।
रही बात भारत की तो मैं इतना कहना चाहूँगा होली में रंगने वाले २ दिन के रंगो से हम परहेज़ नहीं करते तो ये श्याम रंग तो हमारा जीवन है ।
भगवान ने हमें जो रंग दिया है चाहे गोरा हो या काला हम इसमें ही ख़ुश है और हम इस रंग को बदलने के लिए न क्रीम का साहरा लेंगे न पार्लर का । हाँ यदि किसी को बदलना है तो समाज को अपनी धारणा बदलनी होगी । उन्हें ये जानना होगा कि जितना गोरा रंग सम्मान के लायक है उतना काला भी । दोनो ही अलंकरण में ही आते है । दोनो हो विशेषता से समबंधित है ।

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साभार: गजेंद्र साहू

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