Positive India:Sarvesh Kumar Tiwari:
वो पचास- सौ तो यूँ ही ठोक देता था। उसे शतक- अर्धशतक मारते देखते हुए हम बालक से किशोर हुए, युवा हुए… वह सेम स्पीड से मारता रहा, दनादन… मजबूरी का नाम महात्मा गांधी हो न हो, उसके युग में क्रिकेट का नाम तो सचिन ही होता था।
किसको नहीं मारा, किसकी बखिया नहीं उधेड़ी? अकरम, वकार, वार्न, मुरली, चमिंडा, वाल्स, मैग्रा… सबको मारा, दौड़ा दौड़ा कर मारा। टेस्ट क्रिकेट के महानतम गेंदबाज शेन वार्न को तो सपने में घुस कर मारता था। वह अपने युग का रन मशीन तो था ही…
अब कहने-सुनने में बात अतिशयोक्ति लगेगी, पर लास्ट नाइंटीज में लगता था कि इंडियन क्रिकेट को वह अकेले अपने कंधे पर ढो रहा है। उसके आउट होते ही “आओ सनम, जाओ सनम” शुरू हो जाता था। रेडियो कमेंट्री के रोमांचक जमाने में कमेंटेटर की चिल्लाती हुई आवाज में “बीएसएनएल सिक्सर” पर उछल पड़ने का मौका देने वाले सचिन रमेश तेंदुलकर अपने समय में क्रिकेट के गॉड कहलाये तो, वे इसके हकदार भी थे।
दसेक वर्षों तक वनडे क्रिकेट में सर्वाधिक रन का रिकार्ड सईद अनवर(194) के नाम रहा।तब हम आपस में बात करते हुए कहते थे, “ए सार पकिस्तनिया के रिकार्ड एक दिन सचिनवे तूरी…” और जिस दिन वनडे क्रिकेट की पहली डबल सेंचुरी ठोक कर सचिन ने अनवर का रिकार्ड तोड़ा, वह मैच हमने ड्यूटी छोड़ कर देखा था। सचिनवा हमारी सुन लिया था।
हमने उसे बार बार अर्धशतक- शतक मारते देखा। फिर अर्धशतकों का शतक मारते देखा। और एक दिन शतकों का शतक मारते भी देख लिया… उस दौर के फैन्स ने सचिन से जो मांगा, सचिन वह दे कर गया। जाते जाते विश्वकप भी…
क्रिकेट को सभ्य समाज का खेल कहा जाता था। समय बदला, क्रिकेटर्स भी गाली गलौज करने लगे। सट्टेबाजी होनी लगी। पर सचिन जबतक रहे, अपनी ओर से क्रिकेट को जेंटलमैन गेम ही बनाये रखा। यह सज्जनता भी उनकी शक्ति ही थी।
सचिन के साथ आये लगभग सारे खिलाड़ी सन्यास ले चुके थे, पर सचिन अभी बीस साल के लड़के की तरह खेले जा रहे थे। उम्र जैसे छू ही नहीं रही थी उनको। फिर सबने मान लिया था कि वे जबतक चाहेंगे तबतक खेलेंगे… वे सचमुच जबतक चाहे तबतक खेलते रहे।
सचिन की बस एक बात के लिए आलोचना हुई। होनी भी चाहिये। उनकी लम्बी परियां मैच जिताने की गारंटी नहीं होती थीं। सचिन शतक मारते, पर टीम हार जाती। बहुतों ने कहा कि सचिन बस अपने रिकार्ड के लिए खेलते हैं। हम भी कहते थे। पर अब लगता है किसी भी बड़ी शख्सियत के बारे में कुछ कह देना बहुत सरल होता है। बस कह ही तो देना है… ट्रोलिंग से अधिक आसान काज कुछ नहीं… पर सचिन होना केवल सचिन के बस की बात थी।
सचिन ने एक फिफ्टी और ठोक दी आज। वे पचास वर्ष के हो गए। हम उनके समय क्रिकेट फैंस उसी जोश के साथ चिल्ला रहे हैं, “सैकड़ा मारो सचिन!” महादेव की कृपा रहे उनपर, वे जरूर सेंचुरी मारेंगे।
साभार:सर्वेश तिवारी श्रीमुख-(ये लेखक के अपने विचार है)
गोपालगंज, बिहार।