Positive India:Vishal Jha:
शाहरुख खान बढ़िया खेल रहे हैं। और फिल्म की अपनी इस पंक्ति को भी रियल में एस्टेब्लिश करते नजर आ रहे हैं। समीर वानखेड़े पर प्राथमिकी दर्ज हो गई। दर्ज भी किया किसने, सीबीआई ने। कहीं से कोई प्रश्न नहीं उठा सकता। चाहे वह शाहरुख के समर्थन में हो अथवा खिलाफ। एक अविश्वसनीय टर्निंग प्वाइंट है, आर्यन खान मामले का। शायद ही ऐसा आज तक किसी एनसीबी अथवा लॉ एंड ऑर्डर के किसी क्रिमिनल प्रोसीडिंग्स में हुआ हो! वानखेड़े का न केबल ट्रांसफर किया गया, बल्कि उसके ऊपर एक्सटॉर्शन का मामला भी दर्ज हुआ। समीर वानखेडे एक्सटॉर्शन में लिप्त थे अथवा नहीं, इसके लिए अदालत में उन्हें अपनी दलील रखना उनका कर्तव्य है। व्हाट्सएप चैट को दलील के तौर पर उन्होंने अदालत के समक्ष रखा है।
यदि समीर वानखेडे सच में ईमानदार भी हैं, तो एक ईमानदार व्यक्ति को जितनी प्रशंसा मिलनी चाहिए, समीर वानखेड़े ने उससे ज्यादा प्रशंसा बटोर ली। इसी ज्यादा का हिसाब आज नियति उनसे बराबर कर रहा है। ईमानदारी का भी अपना एक सामर्थ्य होता है, जिसके मूल्यों को एक मर्यादित सीमा तक ही भुनाया जा सकता है। लेकिन वानखेड़े कुछ ज्यादा ही लोकप्रियता हासिल कर लिए थे। और अब यह सब कुछ शाहरुख खान को हारकर जीतने वाला बाजीगर साबित कर रहा है, बिल्कुल फिल्मी डायलॉग में। जिसमें मीडिया अपनी आईडियोलॉजिकल दूरियां भुला कर भी उनकी पूरी मदद कर रहा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है, आज के वक्त में शाहरुख खान का बाजीगर होना कौन तय करेगा? मीडिया, सिस्टम या आम जनमानस?
उत्तर है आम जनमानस। समीर वानखेडे भारत नहीं हैं। समीर वानखेडे को भारत समझकर शाहरुख खान अपनी लड़ाई जीत लें, इससे देश को क्या फर्क पड़ता है। कदाचित शाहरुख खान के समीर वानखेड़े से लड़ाई उनकी निजी लड़ाई हो गई है। निजी लड़ाई में कोई भी बाजीगर हो, मीडिया उस बाजीगरी को पूरे देश पर थोप दे, आम जनता नहीं स्वीकार कर सकती। आम जनता ने अपनी राय बता दी। फिल्म पठान आर्यन मामले के बाद शाहरुख खान की पहली चर्चित फिल्म थी। एक प्रकार से शाहरुख खान की बाजीगरी पर, फिल्म पठान एक रफरेंडम था। आम जनता के भारत ने फिल्म का पूरी तरह से बहिष्कार कर दिया। बहिष्कार के इस घबराहट में शाहरुख खान ने इतनी होशियारी कर दी, कि सिनेमा इतिहास में पहली बार पठान एक बड़ा बॉक्स ऑफिस घोटाला बनकर सामने आया।
केरला स्टोरी पठान के बाद एक मामूली सी फिल्म आई। जो पठान की हैसियत में कहीं नहीं ठहरती। न कोई बजट, न कोई स्टारकास्ट। और जहां एक तरफ पठान न केवल भारत में कमाई प्रदर्शित कर रहा था, बल्कि भारत के बाहर विदेशों में भी पूरी कमाई इतनी ज्यादा हो गई कि लोग आज भी असल कमाई को लेकर दिग्भ्रमित हैं। बावजूद इसके द केरला स्टोरी नौवें और दसवें दिन ही पठान की कमाई को भारत में ओवरटेक कर गया। जनता ने तय कर दिया, क्या- बाजीगरी। कि कौन बाजीगर है! यह तय करना अब किसी सिंडिकेट के हाथ नहीं। बॉलीवुड भूल चुका था कि यह तय करना आम जनमानस के हाथ में है। क्योंकि आम जनमानस ही अंततः बाजीगर होता है।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)