Positive India:Rajesh Jain Rahi:
कुछ राह में जमे हैं, कुछ राह खोजते हैं,
गुमराह कुछ राह, सबको बता रहे।
कुछ भीड़ में घुसे हैं, कुछ नीड़ में फँसे हैं,
कुछ तो विरोध बिना, बात ही जता रहे।
कुछ हैं सताये हुए, कुछ बहकाये हुए,
नामधारी कुछ मेरे, देश को सता रहे।
सत्ता की ललक लिये, कुछ शोर करते हैं,
थके हारे धरने में, नेता सुस्ता रहे।
लेखक:कवि राजेश जैन राही, रायपुर