www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

भारत सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत आर्सेनिक/फ्लोराइड संदूषण वाली 22,016 बस्तियों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध करवाया

laxmi narayan hospital 2025 ad

Positive India:New Delhi:
आजादी के अमृत काल के तहत जल जीवन मिशन (जेजेएम), देश के 12 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करने की एक नई उपलब्धि का जश्न मना रहा है। 15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से प्रधान मंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा जेजेएम के लॉन्च की घोषणा के समय, गांवों में केवल 3.23 करोड़ (16.64%) घरों में पाइप से पानी का कनेक्शन उपलब्ध था।

अब की तारीख तक, 5 राज्यों (गोवा, तेलंगाना, हरियाणा, गुजरात और पंजाब) तथा 3 केंद्र शासित प्रदेशों (पुडुचेरी, दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली और अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह) ने इसकी 100% कवरेज की सूचना दी है। हिमाचल प्रदेश 98.35% पर तथा उसके बाद बिहार 96.05% पर है जो निकट भविष्य में संतृप्ति प्राप्त करने के लिए तैयार हैं। गोवा, हरियाणा, पंजाब, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पुडुचेरी, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव ‘हर घर जल प्रमाणित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश हैं। यानी कि इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में, ग्रामीणों ने ग्राम सभाओं के माध्यम से पुष्टि की है कि गांव में ‘सभी घर और सार्वजनिक संस्थान को पर्याप्त, सुरक्षित और नियमित जल आपूर्ति हो रही है।

केंद्र और राज्य सरकारों के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप देश में 9.06 लाख (88.55%) स्कूलों और 9.39 लाख (84%) आंगनवाड़ी केंद्रों में नल से जल आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित हुई है। हमारे देश के 112 आकांक्षी जिलों में, मिशन के लॉन्च के समय, केवल 21.64 लाख (7.84%) घरों में नल का पानी उपलब्ध था, जो अब बढ़कर 1.67 करोड़ (60.51%) हो गया है।

तेलंगाना से तीन आकांक्षी जिले (कोमाराम भीम आसिफाबाद, जयशंकर भूपलपल्ली और भद्रब्री कोठागुडेम), गुजरात के दो जिले (दाहोद और नर्मदा) और पंजाब (मोगा और फिरोजपुर) और हरियाणा (मेवात) और हिमाचल प्रदेश (चंबा) में एक-एक जिले ने 100% नल जल कवरेज की सूचना दी है। कार्यान्वयन की गति को और तेज करने के लिए भारत सरकार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझेदारी में लगातार काम कर रही है।

जेजेएम, ग्रामीण आबादी को महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान कर रहा है। नियमित रूप से नल के पानी की आपूर्ति से लोगों को, विशेष रूप से महिलाओं और युवतियों को अपनी दैनिक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी की भारी बाल्टी भरकर ले जाने से राहत मिलती है, जिससे सदियों पुरानी उनकी मेहनत कम हो जाती है। इस तरह से बचाए गए समय का उपयोग आय सृजन गतिविधियों, नए कौशल सीखने और बच्चों की शिक्षा में सहायता के लिए किया जा सकता है।

योजनाओं में दीर्घकालिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाओं से जुड़ी योजना, इसके कार्यान्वयन, संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम) के केंद्र में शुरुआत से ही सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित की गयी है। देश में 5.24 लाख से अधिक ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी)/पानी समितियों का गठन किया गया है और 5.12 लाख ग्रामीण कार्य योजनाएं (वीएपी) तैयार की गई हैं, जिसमें पेयजल स्रोत वृद्धि, ग्रेवाटर उपचार और इसके पुन: उपयोग, और गांव में जल आपूर्ति प्रणालियों का नियमित संचालन और रखरखाव आदि योजनाएँ शामिल हैं। जल जीवन मिशन के शुभारंभ के समय, 22,016 बस्तियां (आर्सेनिक-14,020, फ्लोराइड-7,996), जिनकी 1.79 करोड़ आबादी (आर्सेनिक-1.19 करोड़, फ्लोराइड-0.59 करोड़) पेयजल स्रोतों में आर्सेनिक/फ्लोराइड संदूषण से प्रभावित थीं। जैसा कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बताया गया है, अब सभी आर्सेनिक/फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध है।

सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के आदर्श पर काम करते हुए, जल जीवन मिशन एसडीजी-6 को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है जिसके तहत ‘नल के माध्यम से सुरक्षित पानी’ के प्रावधान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सभी घरों, स्कूलों, आंगनवाड़ी और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में सभी के लिए सुरक्षित और किफायती जल उपलब्ध कराने लक्ष्य है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.