पॉजिटिव इंडिया:नयी दिल्ली,
(भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केन्द्र सरकार से कहा कि रियल एस्टेट बिल्डरों को बहुत मोटी रकम देने के बावजूद मकान का कब्जा नहीं मिलने से परेशान लाखों मकान खरीदारों की परेशानियों का समाधान करने के वास्ते वह सभी मामलों हेतु एक समान प्रस्ताव तैयार करे।
शीर्ष अदालत ने जेपी इंफ्राटेक लि से संबंधित मकान खरीदारों के मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला लाखों फ्लैट खरीदारों से जुड़ा हुआ है और केन्द्र को इसके समाधान के लिये प्रस्ताव पेश करना चाहिए।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी की पीठ ने कहा,हम केन्द्र सरकार से सुझाव चाहते हैं जो ऐसे सभी मामलों के लिये एकसमान हो सकते हैं।
केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल माधवी दीवान से पीठ ने कहा, ‘‘यह मुद्दा लाखों मकान खरीदारों को परेशान कर रहा होगा। दीवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के दायरे में हम कुछ नहीं कर सकते। लेकिन इसके बाहर, आप (केन्द्र) कुछ सुझाव दे सकते हैं। हम उन पर विचार कर सकते हैं।
पीठ ने जेपी इंफ्राटेक लि को कार्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया की समय सीमा खत्म हो जाने के बावजूद मामले को परिसमापन के लिये नहीं भेजने के लिये दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। इसमें कहा गया है कि इससे हजारों मकान खरीदारों को अपूर्णीय क्षति होगी।
अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ने न्यायालय से कहा कि इस आवेदन का जवाब देने के लिये उचित प्राधिकार पेशेवर समाधानकर्ता या संबंधित बैंक हो सकते हैं।
पीठ ने कहा,क्या केन्द्र सरकार इस समय जारी प्रक्रिया को बाधित किये बगैर कोई और सुझाव दे सकती है। हम यह जानने को उत्सुक हैं कि क्या आपके पास कुछ सुझाव हैं?
पीठ ने कहा,नीति संबंधी मुद्दे का समाधान तो केन्द्र को ही करना होगा। इसके साथ ही पीठ ने इस मामले की सुनवाई 11 जुलाई के लिये स्थगित कर दी।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ अगस्त को जेपी इंफ्राटेक लि के खिलाफ पुन: कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया था और इस फर्म तथा इसकी होल्डिंग कंपनी और प्रवर्तकों के किसी भी नयी बोली प्रक्रिया में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
न्यायालय ने भारतीय रिजर्व बैंक को जयप्रकाश एसोसिएट्स लि के खिलाफ भी कार्पोरेट दीवाला समाधान कार्यवाही शुरू करने का बैंकों को निर्देश देने की अनुमति प्रदान कर दी थी।
न्यायालय में दायर नयी याचिका में जेपी इंफ्राटेक लि का स्वतंत्र और गहन फारेन्सिक आडिट कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
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