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गजनी,बाबर,औरंगजेब केवल देशद्रोहियों के प्रेरणा केन्द्र हो सकते हैं,सनातनी देशभक्तों के नहीं

-अजीत सिंह की कलम से-

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Positive India:Ajit Singh:
सनातन के नवजागरण का मार्ग प्रशस्त करने के लिये ही तो एक बहत्तर साल का बुजुर्ग किंतु अपनी ऊर्जा से युवाओं को भी मात देकर भारत को पुन: वैभवशाली सनातन राष्ट्र बनाने का संकल्प धारी हमारा सेनापति दिन रात स्वयं की आहुति दे रहा है…….क्यों और किसके लिये?
जरा ठहरिये…विस्तार से बताता हूं!!

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गजनी,बाबर,औरंगजेब आततायी ही थे…वे केवल देशद्रोहियों के प्रेरणा केन्द्र हो सकते हैं,सनातनी देशभक्तों के नहीं…राम मंदिर के आंदोलन के परिणाम स्वरूप ही हिंदू आत्म हीनता का भाव छोड़कर पिछले आठ साल मे एक नये गौरव और स्वाभिमान के साथ खड़ा हो गया….नैसर्गिक और दैविक सच्चाई तो यही है कि भारत में सनातन राष्ट्रवाद की वैचारिक अवधारणा पर जब भी संकट के बादल छाये हैं…तो हर बार एक नवजागरण आंदोलन खड़ा हुआ है जिसके कारण सुस्त पड़ गया हिन्दू समाज एक नवचैतन्यता के साथ खड़ा हो जाता है फलस्वरूप संकट के बादल छिटक जाते हैं………कभी-कभी इन आक्रांताओं के सामने भारत के कुछ राजा,यहां पल रहे जयचंदो के कारण हार गये …….परन्तु ऐसे नवजागरणों के कारण वास्तविक हिंदू समाज ने कभी विधर्मियों के सामने पराजय स्वीकार नहीं किया…उनको मुंहतोड़ जवाब देते हुये उनसे युद्धरत रहे और पराजित भी किया….लेकिन वामपंथी इतिहासकारों के हाथ मे कलम पकड़ा कर कांग्रेस ने कभी हमे सच्चाई नही बताई कि हमारे पुरखे न केवल पराक्रमी थे वरन् नैतिक रूप से भी शीलवान थे…….तभी तो जो महान थे उन्हे इतिहास मे जगह नही मिली और जो विधर्मी कयर थे उन्हे महान बताया गया….!!!

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बहरहाल विषयांतर हो गया…वास्तव मे इन सब नवजागरण आंदोलनों का आधार हमेशा भारत का अध्यात्म ही रहा है…कभी चाणक्य तो कभी गुरुनानक,गुरु तेगबहादुर,गुरु गोबिन्द सिंह,समर्थ गुरु रामदास, स्वामी विद्यारण्य,स्वामी रामानन्द आदि सैकड़ों संत इनके सूत्रधार रहे…..आध्यात्मिकता इन आंदोलनों की ही नहीं भारत की आत्मा रही है।

आजादी के बाद कथित तुष्टीकरण वाली ‘धर्मनिरपेक्षता’ के कारण भारत की आत्मा को न केवल सुला दिया गया अपितु उसे आत्मग्लानि से भरने का षडयंत्र भी किया गया….लेकिन राममंदिर के लिये प्रारम्भ आंदोलन ने ही वर्तमान कालखंड मे भारत की आत्मा को जगाया….याद करिये कि कभी स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि ‘‘गर्व से कहो मैं हिन्दू हूं’’ परन्तु इसी राम मंदिर आंदोलन से उपजे नवजागरण का परिणाम था और है भी कि अब करोडो हाथ एक साथ उठकर कहते है ‘‘गर्व से कहो हम हिन्दू हैं।

इसी नवजागरण का परिणाम है कि भारत के विकास की जो भविष्यवाणिया चार सौ वर्षों से भी अधिक समय पहले की गई थी अब सामने लायी जा रही हैं……नैस्ट्रोडोमस लेकर महाकवि सूरदास आदि की भविष्यवाणियां इस नवजागरण के बाद ही सामने लाई गई…!!!

अब्दुल कलाम का यह वाक्य सबको ध्यान में रखना चाहिए कि भारत को यदि विकास करना है तो उसे गीता व उपनिषदों के मार्ग पर चलना होगा…वही हमारा मार्ग है…अन्यथा हमे एक षडयन्त्र के तहत अपने धर्म के मार्ग से हटा दिया गया….जिसका परिणाम हमने कितना भुगता है….उसका कोई हिसाब नही है…लेकिन अब और नही…अब हमारे पास मोदी जैसा नायक है और अपने वास्तविक इतिहास को छिपाये जाने की साजिश और अपने पराक्रमी पूर्वजों के बलिदान को लेकर यदि हमारे अन्तर्मन मे जरा सी भी पीड़ा का भाव जागृत होता है…यदि हमारी रक्तवाहिकाओं मे जरा सा भी उबाल आता हो तो….हमारा कर्तव्य है कि मायावी पॉलिटिकल असुरों के बहकावे मे आने की जगह अपने प्रधानसेवक मोदी के साथ मनसा,वाचा,कर्मणा कंधे से कंधा मिला कर खड़े रहें….यही हमारा कर्तव्य है और यही हमारा काम होना चाहिये….बाकी आप स्वतंत्र हैं…जयराम जी की….!!

#वंदेमातरम्
#Ajit_Singh

साभार:अजीत सिंह-(ये लेखक के अपने विचार है)

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