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प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राम मंदिर का शिलान्यास तथा टुकड़े टुकड़े गैंग के पेट में होते दर्द का विश्लेषण

Analysis of Ram Mandir Foundation Stone by PM Modi

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
मेरे राम मंदिर के दोनों आलेखों में ऐसा लगा कि धर्मनिरपेक्षता के झंडाबरदार और टुकड़े टुकड़े गैंग आज भी सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को मानने असहज महसूस कर रहे हैं । जिन लोगों के लिए यह इतना राजनीतिक तूफान मचाये हुए हैं, उन लोगो ने भी एक तरह से इनसे किनारा कर लिया है । देश के मुसलिम समुदाय ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय को सर आंखों पर लेकर मान्य कर लिया है । उन लोगो के लिए यह मामला उसी दिन बंद हो गया था । इस मामले के पक्षकार इकबाल अंसारी ने निर्णय को मानकर रिव्यू पिटीशन के भी खिलाफ थे । उन्होंने तो सरकार से यह मांग भी कर ली कि बाबरी ढांचे के विध्वंस के खिलाफ जो केस चल रहा है, सरकार उसे वापस ले । जिन्होने केस लड़ा उन्हे कोई परेशानी नहीं है, पर बाहर बैठे लोगों को ज्यादा परेशानी है । देश जब इस मामले से मुक्त हो गया है, उबर गया है, तो फिर इस मुद्दे मे जान फूंकने की कोशिश क्यो की जा रही है? समझ से परे है ।

एक बात तय है, ये लोग भले यह समझ ले कि इस मुद्दे से राजनीतिक फायदा होगा, परन्तु यह इनकी बहुत बड़ी गलत फहमी है । उल्टा इस मामले को सुलगाने से सिर्फ राजनीतिक हानि होगी । एक तरफ मोहम्मद फैज खान जैसे गोभक्त है, जो राम के ननिहाल रायपुर से मिट्टी, राममंदिर निर्माण के लिए, अयोध्या जो आठ सौ किलोमीटर है, पैदल चलकर जा रहे हैं । वे चार अगस्त को पहुंचकर वहां इस मिट्टी को सौंपने जा रहे है । उक्त समाचार नवभारत में भी आया है ।

कुछ नहीं यहां के आम मुसलमानों ने इस सत्य को और उच्चतम न्यायालय के निर्णय को तहेदिल से स्वीकार कर लिया है । पर हमारे देश की उरवरा धरती, जो समय समय पर जयचंद बनाने के लिए जानी जाती है, मौका मिलते ही यह जयचंद अपने अपने बिलों से बाहर आ जाते है ।

इकबाल अंसारी से लेकर मोहम्मद फैज खान तक राम मंदिर के शिलान्यास मे राजी खुशी शामिल हो रहे है । पर जयचंदो का एक वर्ग ऐसा है जिसमें मातम पसरा हुआ है । हालात तो यह है कि सत्तर साल के फसल को ही कोई काट कर ले गया, जिसका विधवा विलाप रूकने का नाम ही नहीं ले रहा है ।

खबरों के मुताबिक, हालात तो यह है कि शिलान्यास रोकने के लिए पुनः न्यायालय जाने की खबरें आ रही हैं । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शिलान्यास रोक पर इनकी याचिका खारिज कर चुका है । मतलब, न्यायालय का सहारा भी छीन गया । अब तो इकबाल अंसारी ने भी ऐसे लोगो को अपना चेहरा चमकाने वाली बात कह दी है ।

अब ऐसे लोगों को जवाब देने के लिए मोहम्मद फैज जैसे युवा भी है, जो राम मंदिर के लिए राम जी के ननिहाल चंदखुरी से मिट्टी लेकर पैदल अयोध्या जा रहे है। जो सही मायनों में एक सभी धर्मो के सद्भाव के लिए अच्छी पहल है । यह बात निश्चित है आज पूरा देश राम मंदिर के शिलान्यास के लिए बहुत ज्यादा आतुर है । लोग तो इसे दीपावली जैसे मनाने के मूड मे है ।

विगत पांच सौ साल से चले इस मामले में अब पांच अगस्त का रामजन्म भूमि का शिलान्यास प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देखने को मिलेगा । पता नहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद टुकड़े टुकड़े गैंग कौन सा कानूनी दांव-पेंच लाते है। इन तथाकथित सेकुलरस्टो को कितना राजनीति फायदा होगा, यह कहना मुश्किल है । पर यह तय है, पांच अगस्त को निश्चित ही हम राममंदिर के मुद्दे पर आगे बढ रहे है । आपको शुभकामनाएं सहित । बस इतना ही
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपूर(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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