
पूर्व केजीबी चीफ का दावा, डोनाल्ड ट्रंप 80 के दशक में KGB के एजेंट रह चुके हैं
-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

Positive India: Rajkamal Goswami:
अल नूर मुसायेव का कहना है कि डोनाल्ड ट्रम्प सन ८० के दशक मे रूसी गुप्तचर संस्था केजीबी के एजेंट रह चुके हैं । मुसायेव तब केजीबी के चीफ़ थे ।
ट्रम्प की हालिया हरकतों से तो मुसायेव का दावा सच मालूम पड़ता है । ट्रम्प कह चुके हैं कि यूक्रेन पर पहले रूस ने आक्रमण नहीं किया , वे तो रूस को आक्रामक मानने को भी तैयार नहीं हैं । जिस तरह उन्होंने ज़ेलेंस्की को लाइव कैमरों के सामने हड़काया उससे भी यही ज़ाहिर होता है कि उन्होंने ज़ेलेंस्की को ज़लील करने के लिए ही बुलाया था मगर जब दाँव उल्टा पड़ गया और ज़ेलेंस्की ने तुर्की ब तुर्की जवाब देना शुरू किया तब कैमरे हटवा दिये गये ।
बीच युद्ध में धोखा देना और मदद के बदले खनन अधिकार मांगना मुहल्ले के गुंडों जैसा बर्ताव लगता है । अमेरिका का यह बर्ताव जापान ताइवान दक्षिण कोरिया और फिलीपीन जैसे उन तमाम देशों के लिए संदेश है जिनकी सुरक्षा का भार अमेरिका ने उठा रखा है । द्वितीय विश्वयुद्ध के खलनायक जर्मनी ने तो कमर कस ली है वह अब फिर से हथियार बनायेगा ।
अमेरिकी रुख़ को देखते हुए परमाणु निशस्त्रीकरण संधि बेमानी हो जायेगी । जापान जर्मनी इटली सब अपनी रक्षा के लिए बम बनायेंगे । आख़िर ये अब तक अमेरिका के भरोसे ही तो बैठे हैं , भारत पाकिस्तान और इज़राइल ने बम बना लिए तो अमेरिका ने उनका क्या कर लिया ।
फिलहाल यूक्रेन के मददगार बहुत हैं , फ्रांस ने तो रूस को परमाणु युद्ध की धमकी दे दी । यद्यपि रूस के पास परमाणु बम कहीं अधिक पर रूस भर के लिये बम फ्रांस के पास भी हैं ।
साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)