आस्था पर छत्तीसगढ़ प्रशासन का डंडा!!
संत बालक दास के पाटेश्वर धाम को छत्तीसगढ़ वन विभाग ने जारी किया नोटिस।
Positive India:Balod;एनिशपुरी गोस्वामी:
अंबागढ़ चौकी-राजनांदगांव जिले के सीमा से सटे बालोद जिला के घने जंगल में स्थित पाटेश्वर धाम छत्तीसगढ़ सहित सीमावर्ती राज्यो के आस्था का केंद्र रहा है । जिस पर फॉरेस्ट विभाग का संकट मंडरा रहा है। वन मंडल बालोद बड़ेजुगेरा के घने जंगल में स्थित जामडी पाटेश्वर धाम, पंचमुखी हनुमान मंदिर के संचालक संत बालक दास को वन विभाग ने नोटिस जारी करते हुए 4.065 हेक्टेयर संरक्षित वन क्षेत्र पर कब्जा हटाने कि लिखित नोटिस भेजा है । बालोद डीएफओ संतोविशा समाजदार ने नोटिस जारी कर 30 दिनों के भीतर आश्रम को जवाब तलब किया है।
जामड़ी पाठ पाटेश्वर धाम के संचालक संत बालक दास से ने बताया कि सन 1971 में महाराज रामजानकी दास ने तप करते हुए जामड़ी पाठ को हिंदू आस्था का केंद्र बनाया। 45 साल से पाटेश्वर धाम आश्रम के रूप में विकसित होना शुरू हुआ जिसे आगे वे संचालक के रूप में जंगल के भीतर आश्रम सहित देवी देवाला को संचालित कर रहे हैं।
बना हुआ है आस्था का केंद्र:-
राजनांदगांव जिले के सीमा से सटे बालोद जिला के जामड़ी पाठ धाम हिंदू समाज व आदिवासी पिछडे वर्ग के लोगों के लिए पिछले कई दशक से आस्था का केंद्र बना हुआ है।
प्रदेश का पहला पंचमुखी हनुमानजी के मंदिर का हो रहा है निर्माण:-
जामड़ी पाठ डोंगरी के वादियों में प्रदेश का पहला पंचमुखी हनुमान जी के मंदिर का निर्माण राजस्थान पत्थर से जोड़ जोड़ कर किया जा रहा है जो पर्यटन का सबसे बड़ा क्षेत्र में केंद्र बना हुआ है।
धर्म जागरण और सेवा का होता है काम:-
पाटेश्वर धाम आश्रम के संचालक बालक दास के अनुयाई व पाटेश्वर धाम से भारत के कोने कोने से लोग जुड़े हुए हैं। इस आश्रम की सच्चाई यह है कि यहां धर्म जागरण और सेवा का कार्य होता है जिससे हिंदू मुस्लिम सिख धर्म के लोग भी जुड़े हुए हैं।
संत बालक दास ने बताया कि यहां धर्म जागरण का काम होता है। कई वर्षों से पाटेश्वर धाम के नाम पर हिंदू और आदिवासी समाज के लिए यह आस्था का मुख्य बिंदु रहा, जिसे प्रदेश सरकार ने प्रशासनिक तौर पर काफी मदद की और यह आश्रम के रूप अब तैयार होकर सेवा का कार्य कर रही है।
“हमारी कार्रवाई मंदिर उखाड़ने की नहीं है, जो उचित होगा विभागीय तौर पर किया जायेगा। वहां के ग्रामीणों को अलग-अलग तरह के 3 पट्टे जारी हो सकते हैं किसी की प्राइवेट प्रॉपर्टी के रूप में विकसित नहीं हो सकती”, श्रीमती संतोविशा समाजदार-डीएफओ बालोद