Positive India:”युवराज! मुझे लगता है तुम्हे विश्वकप नहीं खेलना चाहिए और सही समय पर अपना इलाज करा लेना चाहिए,” बस डॉक्टर का ये कहना था और चट्टान से भी मजबूत युवराज पूरी तरह टूट गए।
जिस तरह एक फौजी को युद्ध के मैदान में जाने की ललक होती है ठीक उसी तरह एक क्रिकेटर को विश्वकप खेलने का बेसब्री से इंतजार होता है ।
पर उस वक़्त एक क्रिकेटर पर क्या बितेगी जब उस विश्वकप कप शुरू होने का कुछ दिन पहले पता चले कि उसे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी है ।
युवराज सिंह के सामने सिर्फ दो ही विकल्प थे *जिंदगी या वर्ल्डकप* । बहुत विचार करने के बाद युवराज ने वर्ल्डकप को चुना । वजह थी कि उन्होंने अपने गुरु को वादा किया था कि इस बार का विश्वकप सिर्फ और सिर्फ उनके लिए खेलेंगे ।
और फिर महासंग्राम शुरू हुआ ।
युवराज ने डॉक्टर की बात को न मान कर जान जोखिम में डालकर विश्वकप खेलना शुरू किया ।
उन्हें पहले ही मैच से प्रॉब्लम आने लगे , अभ्यास के दौरान खून की उल्टियां , पूरे विश्वकप में युवराज ने 4 घंटे की पूर्ण नींद नहीं ले सके । फिर भी युवराज सिंह ने हार नहीं मानी , बल्कि उनके हौसले के आगे कैंसर को झुकना पड़ा ।
भारत 28 साल बाद विश्व विजेता बनकर इतिहास में सुनहरे पन्नों में शामिल हो चुका था ।vयुवराज ने 2011 के विश्वकप जिताने में अहम भूमिका निभाई । युवराज ने 2011 विश्वकप के सभी मैचों में अपना लोहा मनवाया , उन्होंने अपने बल्ले से 362 रन व बॉल से 15 विकेट लिए । और वे ” मैन ऑफ द सीरीज ” रहे ।
एंकर ने उनसे पूछा ” जब आप पहले मैच में “मैन ऑफ द मैच” रहे तब आपने अपने गुरु का जिक्र करते हुए कहा था कि आप उनके बारे में विश्वकप जीत कर बताएंगे । कौन है आपके गुरु ? जिनके लिए आपने विश्वकप खेला भी और जीता भी !”
तब युवराज ने बताया – ” मेरे गुरु कोई और नहीं *सचिन* है , जिन्हें मै बचपन से खेलते देख रहा हूं और उन्हें है गुरु मान कर खेलता आ रहा हूं, और मैंने उन्हें वचन दिया था आपका सपना जरूर पूरा करूंगा “….!
युवराज दुनिया के मात्र ऐसे खिलाड़ी है जो U19 विश्वकप , T20 विश्वकप और 50 over विश्वकप का हिस्सा रहे भी , जिताया भी और तीनों में ही “मैन ऑफ द सीरीज” भी रहे ।
वे एकमात्र बल्लेबाज है जिन्होंने 1 ही ओवर में 6 छक्के मारकर नया कीर्तिमान बनाया।
तो ये है युवराज, न ही क्रिकेट के मैदान में हारे और न ही जिंदगी के मैदान में ।
उनकी जिंदगी किसी प्रेरणा से कम नहीं । और उनसे सीखने को बहुत कुछ है ।
युवराज ने अपने खराब दौरमें हार न मानते हुए उस समस्या का डट कर सामना किया । उनकी इच्छाशक्ति और हौसले का ही परिणाम है कि वे आज हमारे बीच स्वस्थ और गर्व का जीवन जी रहे है।
यही बात मैदान में भी लागू होती है, जब भारतीय पारी खराब दौर से गुजरती थी तब युवराज हमेशा वहां अपने खेल के विपरित संयम व सावधानी से खेल कर भारत को कई बर जीत दिला देते थे,,।
जिंदगी के सेकंड इनिंग में भी आप बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
आप सदैव अपनों और अपने चाहने वालो के दिलो में राज करेंगे ,,, युवराज,,,,,।।
#Miss_You_legend
लेखक: विक्की साहू(ये लेखक के अपने विचार हैं)