www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

कब तक शिवलिंग को फव्वारा बता सकते हो?

-विशाल झा की कलम से-

Ad 1

Positive India:Vishal Jha:
ज्ञानवापी(Gyanvapi) में शिवलिंग(Shivling) की रिकॉर्डिंग सामने आई है। एक तरह से कहा जाए तो बड़ी सुविधा से सर्वे की वीडियो रिकॉर्ड हो जाना ही हमारे लिए असल जीत है। क्योंकि अदालत से ही हम न्याय की उम्मीद करें यह हमारी विनम्रता है, अन्यथा अदालत के सक्षम नहीं रह जाने की स्थिति में जनमानस का अदालत अवश्य न्याय करे लेगा।

Gatiman Ad Inside News Ad

शिवलिंग विरोधी पक्षकार अदालत में जाकर सर्वे(Survey) की वीडियोग्राफी(Videography) सार्वजनिक न करने को लेकर मांग करते रहे हैं। आज दोनों पक्षकारों की सुनवाई पूरी हो गई और 4 जून तक फैसले को सुरक्षित रख लिया गया। अदालत अपने तरीके से काम करेगी हमारा सम्मान है। लेकिन सवाल है सत्य सार्वजनिक न करने को लेकर अदालत से यह कैसी मांग की जा रही है?

Naryana Health Ad

अदालत में ज्योतिर्लिंग को फव्वारा(Fountain) प्रमाणित करने का प्रयास करना न्यायिक प्रक्रिया हो सकती है। लेकिन जनसमुदाय में उस ज्योतिर्लिंग पर सौ करोड़ हिंदुओं की आस्था है। मानव समाज अदालत की तरह अचेतन नहीं होता। मानव समाज में चेतना होती है। इस कारण यहां सत्य को प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं होती। बल्कि सत्य को साक्षात देखना भर पर्याप्त होता है।

जिन लोगों ने विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को सिस्टम के मकड़जाल में उलझा कर पिछले 7 दशकों से रखा हुआ था, अब वो दिन लद गए। भारत आगे बढ़ चुका है। सत्य को सत्य और झूठ को झूठ बताना सीख लिया है। विमर्श अब इस नए भारत की बड़ी ताकत बन गया है। कब तक शिवलिंग को फव्वारा बता सकते हो? देख लो करके पूरा प्रयास।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.