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फेसबुक : द बिगिनिंग

The story and analysis of Facebook by an Indian.

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Positive India:Raipur:17 March:
देश में मंदी छटने लगी थी,ये साल 2010 ख़त्म हो रह था ! उस समय टेक्नोलॉजी की पहचान कुछ यूं थी की हर हाथ में मोबाइल पहुँच चूका था, चाहे जैसा भी मॉडल हो! बटन दबाने वाले मोबाइल बाजारो से धीरे-धीरे दब रहे थे और टच मोबाइल केवल रईसो के टच मे थे । ऑरकुट कही पीछे छुट चूका था और फेसबुक बहुत तेजी से पनप रहा था । सभी एक दुसरे को ढूढने की होड़ में लग चुके थे , हर रोज एक जान-पहचान वाले की रिक्वेस्ट आती,!
हर दिन एक नई प्रोफाइल तैयार हो रही थी । ध्यान रहे हम उस दौर की बात कर रहे है जब कवर पिक अनिवार्य नहीं हुई थी । जब लाइक में लव ,एंग्री का आप्शन कल्पना से भी परे थी । तब प्रोफाइल पिक मात्र व्यक्ति के पहचान के लिए थी ना कि 500 ,1000 लाइक पाने की प्रतियोगिता का हिस्सा होती थी। जब हर कोई भाजपाई, कांग्रेसी, आपिये नहीं ठहरा दिए जाते थे!!

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फेसबुक में गालिया लिखना बुरा माना जाता था । जब लोग कमेंट में मेंशन की बजाए पोस्ट में टैग हुआ करते थे, जंहा नोटिफ़िकेशन मिस करना अपराध माना जाता था !
ये वो दौर था जब नेट पैक काफी सस्ते हुआ करते थे और दोस्तों को gm, gn व जोक भेजना समय की बर्बादी नहीं माना जाता था,,!!

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फ़ेसबुक की लोकप्रियता असमान छू रही थी । इसमे सबसे अच्छी बात यह लग रह रही थी यह किसी 70-80 के दशक फिल्म की तरह कुम्भ के मेले मे बिछड़े लोगो को आपस मे मिला रही थी। लोग अपनी स्कूल की बचपन वाली फोटो देख कर एक दुसरे को ढूंढ रहे थे, इत्तेफ़ाक़ ये था की वे मिल भी रहे थे। फेसबुक ने भारतीयो की भावनाओ और रिश्तो मे जगह बनाना शुरू कर दिया । आज विश्व मे फेसबुक का सबसे बड़ा यूजर भारत है। चाहे कारण जो भी हो बेरोजगारी, सबसे अधिक जनसंख्या, व खाली समय पर हमने फेसबुक को पूरे दिल से अपनाया है।

आज फेसबुक का जाल हर जगह फ़ैल चुका है , इस जाल में फसने वालो में शहर ही नहीं अपितु गांव भी नहीं बच पाए! विडम्बना तो ये है कि आज हमारे अपनो के पास मिलने का समय नहीं है और मिलने के लिए भी हमे इसी जाल का सहारा लेना पड़ता है!!!

” ये जाल भी कमाल है ”

*फेसबुक :द बिगिनिंग* मे कुछ बाते जो उस समय फेसबुक को लेकर मेरे मन मे थी और फेसबुक के प्रति विचार जो आज शब्दो मे आपके सामने है ।
कुछ दिन मे आप सभी के सामने *फेसबुक :द कनक्लूजन* के साथ वापस आऊंगा। और हम इस बात पर मंथन करने की कोशिश करेंगे कि फेसबुक आज हमारे जीवन की दिनचर्या पर कितना असर डाल रहा है । फ़ेसबुक से जुडे फायदे और नुकसान पर भी बात करेंगे। और यह भी मेरे अपने विचार होंगे ।

लेखक: गजेंद्र साहू उर्फ विक्की(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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