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एक्जिट पोल तथा विपक्षियों का ढहता महागठबंधन

एक्जिट पोल पर मची खलबली

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:एक्जिट पोल कल आ गया, जिसके कारण राजनीतिक सरगर्मिया तेज हो गई है । विपक्षी नेताओ के तेवर उग्र हो गये है । इनके तेवर देखकर तो ऐसा लगता है कि यह राजनीतिक न होकर व्यक्तिगत दुश्मनी है । जब एक्जिट पोल को ये इतने गंभीरता से लेते है और अपनी प्रतिक्रिया देते है तो आश्चर्य महसूस होता है। ये बात जरूर है कि आज की राजनीति मे न गंभीरता है न संवेदनशीलता है । ये जरूर है कि चुनाव क्या रूख लेने वाला है ये आम आदमी तक को महसूस होने लगता है । फिर ये तो व्यापक तौर पर किया गया सर्वे रहता है जो नतीजो के आसपास ही रहता है । यही कारण है पोल पर बात हो उसके पहले ही अपने को प्रधानमंत्री के रूप मे प्रतिस्थापित करने वाले लोग उस तथाकथित प्रधानमंत्रीयो से गुफ्तगू करने मे मशगूल हो जाते है जो स्वंय उस कतार मे अपने को भी खड़ा पा रहे है । देखने मे ये आ रहा है कि कोई भी अपने महत्वपकांक्षा से समझौता करने को तैयार नही है । अभी तो ये हालात दिख रहे है कि अभी नही तो कभी नही वाला सिद्धांत चल रहा है। जबकि जनमानस का रूख पूरा मोदी जी के तरफ है ।
उसके बाद भी सभी लोगो का अपने उपर फोकस करने का साफ मतलब निकलता है ये किसी के भी उपर जबरदस्ती लद जाने से कम नही है । मुश्किल से ज्यादा से ज्यादा सौ सीट वाले भी तकनीकी आधार पर देखा जायै तो इस पद के लिए योग्य नही है । जोड़तोड़ मे सब संभव है । इसलिए किसकी स्वीकार्यता पर मुहर लगती है ये भी देखने वाली बात होगी । परंतु स्पष्ट बहुमत के मिलने के बाद विपक्ष के खेमो मे हड़कंप ही मच जायेगा । जिस तरह से माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है उसमे इवीएम पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ाकर पूरे निर्वाचन को संदेहासपद बनाने की कोशिश की जाएगी । वहीं पश्चिम बंगाल की नेता यो तो इस नतीजे को स्वीकार करने के मनःस्थिति मे ही नही है । सबको डर है कि “राज” का क्या होगा? सबकी अपनी फाइल है जिसके खुलने से राजनीति मे तो असर पड़ेगा ही। एक पार्टी के सुप्रीमो उनके उदाहरण भी है । इसके कारण किसी एक नतीजे पर भी पहुंच जाए तो आश्चर्य भी नही । पर इस तरह के नेतृत्व से देश को काफी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी । देखे नतीजे क्या होते है फिर उस नतीजे का विश्लेषण ही देश और हमारा भाग्य निर्धारित करेगा।

लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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