असामाजिक तत्वों का राजनीति में प्रवेश तथा राजनैतिक पार्टियों का रक्त चरित्र
Analysis of dirty politics in India
Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
कार्यकर्ता या असामाजिक तत्व यह बात कमोबेश सभी दलो पर लागू होती है । इस मामले मे सभी दल एक दूसरे पर बीस ही बैठते है । राजनीति सेवा की जगह मेवा उद्देश्य रह गया है । वही गलत काम करने वालो के लिए राजनैतिक पार्टियाँ तो एक अभेद सुरक्षा चक्र का काम करती है । यही कारण है ऐसे असामाजिक तत्व किसी न किसी दल से संबद्ध रहते है । वही नेताओ का भी इनके बगैर काम नही होता है । विशेषकर वो काम जिसके लिए धन बल की आवश्यकता रहती है। उसके लिये ये जिन्न नेतावों की सेवा में सदैव हाजिर रहते है ।
आजकल जैसे नेताओ के चरित्र देश देख रहा है, ऐसे मे, ऐसे कार्यकर्ताओ की तो महती आवश्यकता रहती है । ये लोग उनके लिए सुरा सुंदरी सबका इंतजाम करते है । यही कारण इस बैकग्राउंड से आये कार्यकर्ता जब नेता बनते है, तो अपने मूल चरित्र को नही छोड़ पाते है । माननीय बनने के बाद भी रंगीन महफिल सजाने मे तो यह लोग गर्व महसूस करते है । यही कारण है आये दिन समाचारो मे माननीयो के बलात्कार के चर्चे मीडिया के लिए सुर्खीयो मे छाये रहते है । इन असामाजिक लोगो को लेने के बाद, इनके कारनामो को छुपाना, उस पर पर्दा डालना राजनैतिक दलों की मजबूरी बन जाता है; क्योंकि दल की साख का सवाल रहता है । वही वो बंदा मुस्कुराते रहता है कि उसके बचाव के लिए पूरी पार्टी ही मैदान मे है । इन दलो की राजनैतिक मजबूरी हो जाती है कि उसे निर्दोष साबित करे, अन्यथा इसका ठीकरा पूरे दल पर पड़ता है । जब तक न्यायालय दोषी करार न दे दे तब तक ये इनके साथ बने रहते है । यही कारण है जहा भाजपा पहले अपने बलात्कारी विधायक के समर्थन मे खड़े दिखी, बाद मे उसने आरोप सिद्ध होने पर हाथ खींच लिया । वैसे ही कांग्रेस ने सज्जन कुमार का तब तक साथ दिया जब तक अदालत ने सिक्ख दंगो मे दोषी करार नही दे दिया ।
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी इन सभी पार्टियों से तो एक कदम आगे निकल चुकी है। बड़े बड़े आदर्शो की बात करने वाली आप पर आज उसके पार्षद ताहिर हुसैन पर दिल्ली दंगे मे हत्या तक का केस दर्ज है । उसे निर्दोष साबित करने के लिए आम आदमी पार्टी से राज्य सभा सांसद संजय सिंह मीडिया की रिपोर्ट देखने के बाद भी उसके बचाव के लिए बड़े बेशर्मी से आये । अपने पार्टी की साख बचाने के लिए ताहिर हुसैन को निर्दोष साबित करना उनकी मजबूरी थी ।
कुल मिलाकर अपने स्वंय के अनैतिक इच्छाओ की पूर्ति के लिए ऐसे कार्यकर्ताओ को रखना, जहां इनकी मजबूरी है वही ऐसे तत्वों के माध्यम से राजनीति मे अपराधीकरण का बीज बोना इनका शुगल बन चुका है । अपने स्वयं के फायदे के लिए तथाकथित राजनेता भारत को एक दलदल में धकेल रहे हैं। इन परिस्थितियों में राजनीतिक पार्टियां कैसे किसी साफ-सुथरे व्यक्ति को अपने दल में शामिल करेंगी। सौ बात की एक बात राजनीति अब ऐसे ही रहेगी ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)