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एक आखिरी चाय : गजेंद्र साहू

कहानी ( लेखक गजेंद्र साहू )

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पॉजिटिव इंडिया :रायपुर;
रश्मि और भावेश स्टेशन पहुँच चुके थे। आज रश्मि हमेशा के लिए शहर छोड़कर जा रही थी। रश्मि और भावेश 5 साल से साथ थे ग्रैजूएशन और पीजी किए , साथ में पढ़े-घूमे , सुख-दुःख बाटे थे। भावेश और रश्मि बहुत अच्छे दोस्त थे। रश्मि भावेश को बहुत अच्छे से समझती थी। उसे भावेश की शक्ल देखकर ही पता चल जाता था कि भावेश उदास है। वह अक्सर उसके उदासी का कारण जानने उसे हमेशा चाय पिलाने को कहती और चाय के बहाने उसका हाल-चाल जानकर उसके मूड को हमेशा ठीक कर देती थी। दोनो ही चाय के शौक़ीन थे।
भावेश मन ही मन रश्मि को चाहने लगा था। भावेश बहुत कोशिश करता पर कह नहीं पाता था। भावेश हमेशा सोचता था कि रश्मि से मिलकर बहुत सारी बातें करेगा पर जब रश्मि सामने आती थी उसकी बोलती बंद हो जाती थी हालाँकि रश्मि उसके इतने क़रीब आ चुकी थी कि भावेश के बिन बोले वह सब समझ जाती थी। रश्मि भी भावेश को चाहती थी पर वह भावेश के कहने का ही इंतज़ार करती रही। वह चाहती थी कि भावेश ही प्यार का इज़हार करे और उसके परिवार से बात करे।
अचानक ट्रेन आधा घंटा देर होने की सूचना प्रसारित हुई। रश्मि ने भावेश को कहा ‘एक आख़िरी चाय हो जाए’ । रश्मि को पूर्ण विश्वास था कि भावेश अपने दिल की बात ज़रूर बोलेगा। भावेश भी ख़ुश था कि उसे रश्मि के साथ आधा घंटा बिताने का और मौक़ा मिल गया। चाय पीते-पीते रश्मि ने पूछा ‘भावेश तुम्हें मुझसे कुछ कहना है ?? यदि कुछ कहना चाहते हो तो कह दो यही आख़िरी मौक़ा है। फिर पता नहीं हम कभी मिले या न मिलें..’ इतना सुनते ही भावेश का दिल ज़ोरों से धड़क उठा और सोचने लगा आज यदि नहीं कहा तो वह रश्मि के बग़ैर कैसे जियेगा? पर भावेश हिम्मत नहीं जुटा पाया और रश्मि को सिर्फ़ एकटक देखता रहा जैसे आज के बाद वह उससे कभी मिल नहीं पाएगा।
अचानक ट्रेन छूटने का सायरन बज उठा। ट्रेन धीमी गति से बढ़ने लगी । दोनो की आँखे डबडबा गई। वे एक-दूसरे का हाथ पकड़ ट्रेन की ओर जाने लगे। भावेश तो अपने आप को सम्भाल ही नहीं पा रहा था। रश्मि ट्रेन में चढ़ गई उसे अब भी भरोसा था कि भावेश बोलेगा ज़रूर। अब दोनो का हाथ छूट गया। ट्रेन रफ़्तार पकड़ चुकी थी । दोनो एक दूसरे को तबतक देखते रहे जब तक वे एक दूसरे को आँखो से ओझल न हो गए।भावेश पूरी गढ़ टूट गया। १ हफ़्ते बाद भावेश भी शहर छोड़ कर अपने घर चला गया।
5 साल बाद किसी दोस्त की शादी में सभी कॉलेज के दोस्त मिले। रश्मि की शादी हो चुकी थी वह अपने पति के साथ पहुँच आई थी और वह भावेश का इंतज़ार कर रही थी। उसे विश्वास था भावेश ज़रूर आएगा। भावेश सबसे आख़री में आया। वह रश्मि से आँख नहीं मिलाना चाहता था। इसलिए वह सबसे मिला सिर्फ़ रश्मि से नहीं। शादी के बाद सभी मेहमान चले गए कुछ दोस्त और रिश्तेदार ही बचे थे। अचानक बारिश शुरू हो गई। सभी दोस्तों ने महफ़िल सज़ा ली थी। भावेश किसी बात का बहाना बनाकर जाने लगा । तभी रश्मि ने उसे रोकते हुए कहा ‘एक आख़री चाय हो जाए’…। भावेश रश्मि को देखता रह गया और यादों का पिटारा फिर खुल गया।
साभार: गजेंद्र साहू

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