Positive India:Rajesh Jain Rahi
मिलता है कहीं मान, कहीं अपमान होता,
दुनिया के सारे आप, रंग देख लीजिए।
बदली किताब और, कायदे बदल गए,
नयी दुनिया के नये, ढंग देख लीजिए।
ढीले-ढाले कुरते का, आपने भी दौर देखा,
मूल्यवान कपड़े भी, तंग देख लीजिए।
वक़्त अच्छा देख लिया, साथ आपके थे सब,
धूप हुई तेज कौन, संग देख लीजिए।
लेखक:कवि राजेश जैन राही, रायपुर