घबराइए नहीं अभी यही अमरीका थूकेगा और यही तालिबान चाटेगा
-दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India:Dayanand Pandey:
घबराइए नहीं , अभी यही अमरीका थूकेगा और यही तालिबान चाटेगा। तालिबान को बचाने का कोई चारा चीन के पास भी नहीं होगा। पाकिस्तान तो वैसे ही टुकड़खोर है। जिधर हड्डी देखेगा , कुत्तों की तरह दौड़ेगा। अमरीका के पास सामरिक खजाना ही नहीं , आर्थिक खजाना भी है। अमरीका जैसे काबुल हवाई अड्डे पर खड़े फाइटर प्लेन इस कदर कबाड़ बना गया है कि उस के पंखों पर तालिबान झूला झूल रहे हैं। ठीक वैसे ही अमरीका अफगानिस्तान की आर्थिक नाकेबंदी भी कर गया है।
महीना , पंद्रह दिन में इस का भयानक असर दिखने लगेगा। दस , पांच दिन पाकिस्तान खिला-पिला देगा , अपने रुपए भी दिखा देगा। फिर उस के बाद ? अफगानिस्तान ही नहीं , पाकिस्तान खुद कंगाल देश है। चीन फोकट में कुछ करता नहीं। कोई नहीं करता। अफगानिस्तान के लोग भूखे मरेंगे और तालिबान को मारेंगे। गली-गली , सड़क-सड़क यही होगा। अफगानिस्तान में ऐसा गृह युद्ध होगा कि लोग सीरिया की बर्बादी भूल जाएंगे। बहुत मुमकिन है पाकिस्तान में भी गृह युद्ध हो जाए।
बस जब तक एक भी अमरीकी नागरिक है , अफगानिस्तान में तब तक ही तालिबान की खैर है। फिर अमरीका इन को वाशिंगटन से बैठे-बैठे ही छलनी-छलनी कर देगा। और वो कहते हैं न कि गेहूं के साथ घुन भी पिसता है। तो पाकिस्तान भी अमरीका का थूका हुआ चाटेगा। अभी कल 9 / 11 को तालिबान की सरकार को शपथ तो ले लेने दीजिए। आटे-दाल का भाव मालूम पड़ जाएगा।
9 / 11 अमरीका की दुखती रग है। तालिबान ने बड़ी ग़लती कर दी है , यह तारीख़ चुन कर। आप पूछेंगे , फिर भारत ? तो जानिए कि अब की बंदूक़ भारत की है और कंधा अमरीका का। नरेंद्र मोदी को आप क्या समझते हैं ? नहीं समझते तो अब से समझ लीजिए। नरेंद्र मोदी को कांग्रेसियों , कम्युनिस्टों के चश्मे से देखना बंद कर दीजिए। सब कुछ फैंटास्टिक लगेगा और दिखेगा भी।
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)