Positive India:Raipur:कमल अग्रवाल:
धरती पर सीमित जल है.और साथ ही जलका दायरा भी सीमित है. आज विश्व के सभी नदी-नाले, झील-तालाब, जलाशय यू कहे संपूर्ण में उपयोग में लाया जाने वाला पानी प्रदूषित होता जा रहा है. इस प्रदूषण का मुख्य कारण डिटर्जेंट है.
डिटर्जेंट को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए उसमें फास्फेट कंपाउंड मिलाए जा रहे हैं. यह फास्फेट जब जलाशयों में पहुंचता है. तो वहां मौजूद एलगी एवं अन्य जलीय पौधों को भोजन प्रदान करता है. जिससे वे तेजी से फल-फूल व वृद्धि करके पूरे जलाशयों को ढक देते हैं, पानी को प्रदूषित कर देते हैं इस वजह से जलाशयों का पानी उपयोग के लायक नहीं रह जाता. उनमें नहाने से शरीर में खुजली होने लगती है. कहीं तो,वे प्रदूषित हो कर इतना बदबूदार हो जाते हैं कि उनके पास से गुजरना भी मुश्किल हो जाता है. जलाशय में बहुत सारी मछलियों के एकाएक मर जाने का कारण भी डिटर्जेंट द्वारा हो रहा प्रदूषण ही है.
यू.एस.ए. एवं कनाडा के अधिकांश प्रांतों में 0.5 प्रतिशत ही फास्फेट मिलाए जाने की अनुमति है. यूरोपियन यूनियन के देशों में डिटर्जेंट में फास्फेट मिलाए जाने पर पूर्ण प्रतिबंध है. हमारे देश में 20.5 प्रतिशत तक मिलाए जाने की अनुमति है. आर.टी.आई. द्वारा जानकारी लेने पर मालूम हुआ डिटर्जेंट निर्माताओं द्वारा कितना फास्फेट मिलाया जा रहा है आज पर्यंत उसकी जांच पड़ताल भी नहीं की गई है.
दोस्तों यह जलाशय हम ग्रामीणों के लिए जीवन रेखा होती है. हमारी सरकार द्वारा ग्रामीणों के उत्थान के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. ग्रामीणों के लिए लाभार्थी योजनाएं लागू की जा रही है. लेकिन उनकी प्रमुख आवश्यकता इन जलाशयों में डिटर्जेंट द्वारा हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
कमल अग्रवाल (एक प्रकृति प्रेमी)
E-mail : kkaglryp@gmail.com