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क्या शरद पवार ने अजित पवार को राजनैतिक चारे की तरह इस्तेमाल किया

लोकतंत्र पर हावी होता परिवारतंत्र

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Positive India:Mumbai:यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि महाराष्ट्र में जो कुछ हुआ उससे तो यही लगता है की परिवारतंत्र लोकतंत्र पर हावी हो रहा है। बिना किसी ऑडियोलॉजिकल समानता के तीनों पार्टियों ने आपस में हाथ मिला लिया ताकि बीजेपी को सत्ता से दूर किया जा सके।
परिवारवाद की सबसे बेहतरीन उदाहरण है कांग्रेस, कांग्रेस के नक्शे कदम पर चलती हुई, आगे बढ़ रही एनसीपी। शरद पवार की अगुवाई में यह वही एमसीपी हैं जिन्होंने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री से बनने को रोकने के लिए कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी बना ली थी। महाराष्ट्र में शरद पवार के नाम का डंका बजता है। एक प्रतिष्ठित नेता है शरद पवार। परिवारवाद का तीसरा सबसे बड़ा उदाहरण है शिवसेना। शिवसेना पहले रिमोट कंट्रोल से अपने मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों को कंट्रोल करती थी। शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे को लगने लगा है कि रिमोट कंट्रोल बहुत हुआ, क्यों ना डायरेक्ट सत्ता का सुख प्राप्त किया जाए। इसके लिए वर्षों पुराना हिंदुत्व ऑडियोलॉजी छोड़कर परिवारवाद पार्टियों के साथ हाथ मिला लिया।
इसे विडंबना ही कहा जाएगा 105 सीटों वाली भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में बैठ रही है, जबकि 50-50 सीटें लाने वाली पार्टियां सत्ता पर काबिज होकर जनादेश की धज्जियां उड़ा रही है और राज कर रही हैं । इसे ही तो कहते हैं परिवारवाद। आज के परिदृश्य में तो यही लग रहा है कि परिवारवाद लोकतंत्र पर हावी हो गया। आईडियोलॉजिकली कांग्रेस तथा एनसीपी लगभग एक जैसी पार्टी है। सीटों के हिसाब से इन दोनों ने 100 सीटें जीती। पर इन दोनों ने मिलकर अपने से आधी सीटें जीतने वाली शिवसेना को सिंहासन सौंप दिया। राजनीति के खेल अजब गजब के होते हैं। पॉलिटिकल पंडित सिर्फ आंकलन करते रह जाते हैं और चतुर राजनेता अपनी चाल चल देते हैं और मतदाता ठगा रह जाता है।

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कहा तो यह भी जा रहा है कि शरद पवार ने अजीत पवार को एक चारे की तरह इस्तेमाल किया है, ताकि महाराष्ट्र में बीजेपी को धराशाई किया जा सके। और हुआ भी ऐसे ही। देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में बीजेपी ने अति उतावलेपन में गलत कदम उठा लिया। बिना सोचे समझे 80 घंटे के लिए अपनी सरकार बना ली और अपनी धज्जियां उड़वा ली। शरद पवार के इस पैंतरे की बीजेपी के पास कोई काट नहीं थी। शरद पवार ने एक तीर से तीन निशाने साधे। निशाना नंबर 1 अजीत पवार को उनकी औकात बता दी। निशाना नंबर दो- सुप्रिया सुले को अनडिस्प्यूटेड एनसीपी का चेहरा साबित कर दिया और निशाना नंबर 3- आने वाले गठबंधन के लिए उन्होंने साबित कर दिया कि सिर्फ वही एकमात्र चेहरा है जो भविष्य के गठबंधन को लीड कर सकते हैं।

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