क्या भाजपा कांग्रेस के द्वारा तैयार की हुई पिच पर खेलने लग गई है ?
-अजीत भारती की कलम से-
Positive India:Ajeet Bharti:
विपक्ष ने पहले दो दिन ‘इंडिया’ को ले कर खूब ट्वीट किया, भाजपा वाले तब ‘भारत बनाम इंडिया’ खेलने लगे।
फिर अचानक शांत हो कर वो लोग ‘मणिपुर कांड’ ले आए। वह पाँच दिन चला और भाजपा का पूरा तंत्र ‘राजस्थान/बंगाल बनाम मणिपुर’ करने लगा।
अब कल से उन्होंने वापस ‘इंडिया’ पर लिखना आरंभ किया है तो भाजपा सरकार के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से ले कर विदेश मंत्री और पूरा कैबिनेट यह बताता फिर रहा है कि ‘नाम बदलने से कुछ नहीं होता’।
कॉन्ग्रेस के प्रचार तंत्र के लिए इससे सहज प्राप्य और कुछ नहीं हो सकता। जिन बातों पर किसी भी प्रतिक्रिया की आवश्यकता नहीं थी, अपना नैरेटिव चलाना था, अपना तंत्र लगाना था, वह पूरा कॉन्ग्रेस की पिच पर खेल रहा है।
केवल कल के कल बिहार में चार-पाँच घटनाएँ घटी हैं जिसमें महादलित समुदाय के शव को पीटने, फेंकने और कथित तौर पर उस पर मूत्र त्यागने की बात भी कही जा रही है। इससे अधिक जघन्य और संवेदनहीन घटना क्या हो सकती है कि मृत्यु के बाद भी शव को और परिजनों को यह देखना पड़ रहा है! मानवता लज्जित हुई? CJI ने संज्ञान लिया? भाजपा ने संज्ञान लिया? भाजपा के दलित चेहरे ने संज्ञान लिया?
उडूपी की घटना पर कितने नेताओं और कितने प्रदेश ईकाइयों के हैंडल से आपने कुछ पढ़ा? एक स्थानीय व्यक्ति के ट्विटर थ्रेड के अनुसार, तीन मुस्लिम लड़कियों ने लम्बे समय से हिन्दू लड़कियों के बाथरूम में कैमरे लगा कर उनके वीडियो बनाए। इसे क्लिप कटुआ LKFC एक प्रैंक (उपहास) बता रहा है।
‘इंडिया’ से ‘मणिपुर’ और वापस ‘इंडिया’ पर आपको लिखवाने पर विवश करना बताता है कि कॉन्ग्रेस सात दिनों में जिस पिच पर आपको उतारना चाहेगी, सीधे पीएम तक उस पर खेलने लगेगा। यह मसखरी नहीं है, यह भाजपा के प्रचार तंत्र को उसकी औकात बताना है।
तो ‘भारत बनाम इंडिया’ वाला जो ज्ञान आठ दिन पहले पेला गया था, और विपक्ष ने ‘खेलो इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, मेक इन इंडिया’ आदि का हवाला दे कर जो आक्रमण किया, वह अब INDIA vs I.N.D.I.A पर आ कर अटका है!
इनकी ऐसी विलक्षण योजना बनाता कौन है, उसे जीवन में एक बार देखना चाहूँगा, चाहे सड़क के इस पार से उस पार ही क्यों न दिखे। मुझे देखना है कि इन्होंने अपने मस्तिष्क को किसी विज्ञान प्रयोगशाला में दान देने के उपरांत वहाँ भूसा तो नहीं भर लिया है।
जबकि गठबंधनों के नाम पर मतदान नहीं होते, तब विरोधियों की घोषित चाल में फँसना, मेरी समझ से बाहर है। प्रधानमंत्री तो जो करते हैं, सोच-समझ कर ही करते हैं, पर इंडियन मुजाहिद्दीन वाला थोड़ा अधिक हो गया।
दलित के शव पर मुसलमानों द्वारा मूत्र विसर्जन और हिन्दू बच्चियों के नग्न वीडियो मुसलमानों द्वारा रिकॉर्ड कर के प्रचारित करने पर भाजपा की लगभग सामूहिक चुप्पी से जो दस मुसलमान वोट मिलेंगे, मुझे उन्हें भी दूर से देखना है।
साभार:अजीत भारती-(ये लेखक के अपने विचार है)