Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
एमबीबीएस पर जहा बैग से प्रवेश लेते हुए का उल्लेख किया, वही पैसे के बल पर राजनीतिक वजूद के चलते पीएमटी मे भी हेरफेर का खेल मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ मे हुआ है । उल्लेखनीय है मध्यप्रदेश उच्चन्यायालय ने इस तरह से प्रवेश लेने वाले छात्रो की डिग्री को ही निरस्त कर दिया । पर न्यायालय के निर्णय पर कितना अमल हो रहा है, यह भगवान ही मालिक है । मध्यप्रदेश मे हालात तो पीएमटी के मामले मे बहुत ही गंभीर है । इस कांड ने करीब 44 गवाह की हत्या तक हो गई है, जिससे सबूत नष्ट किए जा सके । इससे साफ नजर आता है कि मामला कितना संवेदनशील रहा होगा । ये राजनीतिक रूप से व आर्थिक रूप से कितने सदृढ होंगे । दुर्भाग्य से आज तक न हत्याकांड के तह तक पहुंचने की कोशिश की गई, न पीएमटी के किसी दोषी छात्र को सलाखो के पीछे भेजा गया । मेरे को तो ऐसा लगता है कि इस मामले मे ऐसे बने चिकित्सकों से तो सौ गुना अच्छे ये झोलाछाप चिकित्सक है । जिन्होंने चिकित्सक बनने के लिए किसी अनैतिक काम का और मर्डर जैसे जघन्य घृणित काम का सहारा नही लिया । यही चिकित्सक आगे चलकर हमे झोलाछाप चिकित्सक कहते, पर खुद के गिरेबान मे झांकने की कोशिश नही करते। क्या इस तरह से बने चिकित्सक समाजसेवा करते है ? क्या इनमे मानवीय संवेदना मौजूद रहती है ? क्या कभी आईएमए ने, एमसीआई ने ऐसे घटनाओ पर कभी चिंता व्यक्त की ? वही प्रायवेट मेडिकल कॉलेज के मान्यता पर भी एमसीआई के सदस्य घूस लेते रंगे हाथ पकड़े गए। फिर विडंबणा देखो, फिर से उन्हे नियुक्त कर दिया गया । क्या ऐसे मेडिकल कॉलेज से निकले छात्र, भले डिग्री ले ली हो, पर क्या ये उस मानक स्तर पर उतरेंगे ?
यह तो ऐसी बाते है जो पब्लिक डोमेन मे है, कई बाते तो अंडर कार्पेट ही रह गई होंगी । कुल मिलाकर, इस डिग्री के संपन्न लोग किस स्तर तक जा सकते है ये उदाहरण सबके सामने है । वही छत्तीसगढ में भी इस तरह की घटना मे भी आज तक जांच किसी भी अपने निर्णय पर, आज तक नही पहुंच पाई है, न पहुंचेगी । अगर जांच अपने अंजाम तक पहुंचा, तो सफेद पोश की लाईन लग जाएगी । इस तरह असंवैधानिक रूप से बने चिकित्सक ही अपने को श्रेष्ठ दिखाने की लालसा मे सबसे पहले हम लोगो को ही टार्गेट करते है । शायद फिर झोलाछाप चिकित्सक ज्यादा ही नेक है । लेख बहुत बड़ा हो रहा है । इसलिए आगे भी क्रमशः जारी रहेगा ।
डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)