www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

क्या आपको लगता है कि साहेब अबकी काम कर पाएंगे?

-सर्वेश कुमार तिवारी की कलम से-

laxmi narayan hospital 2025 ad

Positive India: Sarvesh Kumar Tiwari:
कुंए की जगत पर बैठे मनेजर पाण्डेय को खैनी रगड़ते देख कर गोबरधन जादो पास चले आये और कहा- द हो पाण्डेय! खैनी अकेले नहीं खाते!

“अरे तो का एक खिली खैनी पर गाँव भर को नेवत दें? साफ राहुल गाँधी बुझे हो का हमको? आ तुम खैनी का चुनौटी काहे नहीं रखते? बिना चुनौटी के ही सारा जिनगी काट लिए मर्दवा…” पाण्डे पिनिक गए।

“हं त साफ रोअनिया आदमी हो तुम पाण्डे! कुछ लोगों की किस्मत में रोना ही लिखा होता है। कुछ 99 नम्बर ला कर हँस लेते हैं और कुछ 240 ला कर भी रोते रह जाते हैं। खैनी खिलाने से पुण्य मिलता है। हम तो इसलिए आये कि तुम्हारे हाथ से खैनी खा लेंगे तो तुम्हारा कुछ पाप कटेगा… ना त देख लो, स्टील का रखे हैं! वो भी फूल चुनौटी खैनी के साथ…” गोबरधन जादो फुल कॉन्फिडेंस में थे।

पाण्डे मुँह बिचकाते हुए एक चुटकी खैनी जादो जी के हाथ पर रख दिये, फिर मुस्कुरा कर बोले- तब हो गोबरधन भाई! साहेबवा त सरकार बना लिया। उहो बिना नेतिस से डरे! सब बड़का पोस्टवा अपने ही पास रखा है।

“अरे उ छोड़ो मरदे! ई बताओ, ई मैलोनी वाला का मैटर है हो? हमारे टोलवा में बहुत लड़का सब फोटो देखा रहा है।” गोबरधन के चेहरे पर विशुद्ध देहाती मुस्कान थी। वही मुस्कुराहट पाण्डे के मुख पर भी पसर गयी। बोले- “अरे उ ससुराल का मैटर है भाई! साहेब मैलोनी जी के जीजा लगते हैं, तो आव-भगत त होखबे नु करेगा!”

“हैं? ई कवन नाता जोड़ लिए हो बाबा?
– अरे तो हम पण्डिजी न हैं, हमारा काम ही है नाता जोड़ना। ई बताओ, राजीव गांधी का इटली में ससुराल है कि नहीं?”
– सो तो है। तभी तो राहुल जी ममहर जाते रहते हैं।
– त जब गाँव के एक आदमी का ससुराल इटली में है तो सबका ससुराल हुआ कि नहीं?
– उ त होखबे किया! जहां तक बारात का बाजा सुनाए, वहाँ तक का आदमी सार होता है।
– अरे त ए नाते साहेब भी इटली के जीजा हुए कि नहीं? आ मैलोनी जी साली हुई कि नहीं? बताओ तो? आपस में लफड़ा होने से रिश्तेदारी में बटवारा थोड़े होता है गोबरधन बाबू? हीत तो गाँव भर का हीत होता है।
– वाह! जियो मनेजर बाबा जियो! तब त फोटो खिंचाना ही चाहिये।
– हाँ तो अब इसी बात पर एक खिली खैनी अपने चुनौटी से ख़िलाओ जादो जी! कुछ पुण्य तुहू कमा ल…

“हंss खा लो! एक खिली खिलाये हो तो जबतक खा नहीं लोगे चैन थोड़े पड़ेगा। ओइसे का लगता है, साहेब अबकी हिन्नु राष्ट बनाएंगे कि नहीं? वैसे का ही बनाएंगे। जब दस साल के फुल मजरेटी में नहीं बना त ई पैबंद वाला सरकार में का ही बनेगा…” पता नहीं जादो जी छेड़ रहे थे या सचमुच सीरियस थे।
पाण्डे फिर पिनक गए। गरजे, “हाँ तो तुम्हारे ही जैसे लोग नाश किये हैं। भोट देंगे कंग्रेस को और मांगेंगे हिन्नु रास! राहुल गन्हिया देगा हिन्नु रास, ले लेना! उल्टे पकिस्तान न बनाया तो देख लेना…”

“ऐ पाण्डे! ढेर उछलो मत, समझे न! 240 गो सीटवा खाली तुम्हारे ही भोट से आया है का हो? तुम्हारे जैसे ठीकेदार लोग ही साहेब को ढकेल के नीचे किये हैं।” अबकी गोबरधन जादो पिनके थे।

पाण्डे ध्यान से देखे गोबरधन के चेहरे की ओर, फिर बोले- इहो ठिके कह रहे हो। बाकी लगता नहीं कि साहेब अबकी काम कर पाएंगे।

गोबरधन जादो खड़े हो गए थे। चलते चलते बोले- साहेबवा कुछु कर सकता है हो! उसपर शक मत करो, बस खेल देखते जाओ…

साभार:सर्वेश तिवारी श्रीमुख-(ये लेखक के अपने विचार हैं)
गोपालगंज, बिहार।

Leave A Reply

Your email address will not be published.