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क्या आप “थाईलैंड की अयोध्या” के बारे में जानते है ?

-संदीप तिवारी "राज" की कलम से-

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Positive India:Sandeep Tiwari “Raj”:
थाईलैंड का प्राचीन नाम सियाम था ! ईसवी 1612 तक सियाम की राजधानी अयोध्या ही थी , यह अयोध्या आज के बैंकॉक से 80 किलोमीटर दूर है । लोग इसे अयुतथ्या के नाम से जानते हैं । 1612 में राजधानी बैंकॉक शिफ्ट की गई थी । इस स्थान पर यूनेस्को के संरक्षण में आज भी पुरातात्विक साक्ष्यों की खोज में खुदाई का काम चल रहा है । इस पुरानी अयोध्या की इमारतों की भव्यता देखने लायक है । भगवान श्री राम से संबंधित इतने भव्य साक्ष्य तो भारत में भी उपलब्ध नहीं है ।

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लोग थाईलैंड की राजधानी को अंग्रेजी में बैंगकॉक ( Bangkok ) कहते हैं , क्योंकि इसका सरकारी नाम इतना बड़ा है , कि इसे विश्व का सबसे बडा नाम माना जाता है , इसका नाम संस्कृत शब्दों से मिल कर बना है , देवनागरी लिपि में पूरा नाम इस प्रकार है ।

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“क्रुंग देव महानगर अमर रत्न कोसिन्द्र महिन्द्रायुध्या महा तिलक भव नवरत्न रजधानी पुरी रम्य उत्तम राज निवेशन महास्थान अमर विमान अवतार स्थित शक्रदत्तिय विष्णु कर्म प्रसिद्धि ”

थाई भाषा में इस पूरे नाम में कुल 163 अक्षरों का प्रयोग किया गया है । इस नाम की एक और विशेषता है…इसे बोला नहीं बल्कि गा कर कहा जाता है । कुछ लोग आसानी के लिए इसे “महेंद्र अयोध्या ” भी कहते हैं,अर्थात इंद्र द्वारा निर्मित महान अयोध्या । थाईलैंड के जितने भी राम ( राजा ) हुए हैं सभी इसी अयोध्या में रहते आये हैं ।

पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर थाईलेंड(सियाम)में स्थित अयोध्या को ही यूनेस्को ने असली मानते हुए अपनी वैश्विक पैत्रक (Patriarchy) लिस्ट में जगह दी है । इसके लिए जो भारत का दावा था उसे यूनेस्को ने खारिज कर दिया था ।

असली राम राज्य थाईलैंड में है…

बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग अपने राजा को राम का वंशज होने से विष्णु का अवतार मानते हैं , इसलिए थाईलैंड में एक तरह से राम राज्य है । वहां के राजा को भगवान श्रीराम का वंशज माना जाता है । थाईलैंड में संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना 1932 में हुई ।

भगवान राम के वंशजों की यह स्थिति है कि उन्हें निजी अथवा सार्वजनिक तौर पर कभी भी विवाद या आलोचना के घेरे में नहीं लाया जा सकता है वे पूजनीय हैं । थाई शाही परिवार के सदस्यों के सम्मुख थाई जनता उनके सम्मानार्थ सीधे खड़ी नहीं हो सकती है बल्कि उन्हें झुक कर खडे़ होना पड़ता है । उनकी तीन पुत्रियों में से एक हिन्दू धर्म की मर्मज्ञ मानी जाती हैं ।

थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रन्थ “रामायण” है । जिसे थाई भाषा में ‘रामिकिन्ने’ कहते हैं । जिसका अर्थ राम-कीर्ति होता है ।

थाईलैंड में रामिकिन्ने जो आज वर्तमान में चलन में है उसको अलग-अलग समय में तेरहवी सदी से पंद्रहवी सदी तक लिखी गयी थी । परन्तु थाईलैंड की लोक कथाओं में और कला में इसका मंचन चौदहवी सदी से शुरू हो चुका था । इस ग्रन्थ की मूल प्रति सन 1767 में बैकॉक के राजप्रसाद में लगी आग में नष्ट हो गयी थी ।

थाईलैंड में ‘रामिकिन्ने’ पर आधारित नाटक और कठपुतलियों का प्रदर्शन देखना धार्मिक कार्य माना जाता है । रामिकिन्ने के मुख्य पात्रों के नाम इस प्रकार हैं…

राम (राम)
सीदा(सीता)
लक (लक्ष्मण)
पाली (बाली)
थोत्स्रोत(दशरथ)
सुक्रीप (सुग्रीव)
ओन्कोट (अंगद)
खोम्पून ( जाम्बवन्त )
बिपेक ( विभीषण )
तोसाकन्थ( दशकण्ठ ) रावण
सदायु ( जटायु )
सुपन मच्छा ( शूर्पणखा )
मारित ( मारीच )
इन्द्रचित ( इंद्रजीत)मेघनाद
फ्र पाई( वायुदेव )
फरयु नदी , थाई लोक नाम(सरयू)

थाई रामिकिन्ने में हनुमान की पुत्री और विभीषण की पत्नी का नाम भी है , जो भारत के लोग नहीं जानते ।

भारतीय रामायण का पहला मंचन भारतीय नाम के साथ सबसे पहले बैंकाक में 1940 में स्वामी सत्यानन्ताबुरी द्वारा किया गया था ।

थाईलैंड में हिन्दू देवी देवता…
थाईलैंड में बौद्ध बहुसंख्यक और हिन्दू अल्प संख्यक हैं । थाईलैंड में बौद्ध भी जिन हिन्दू देवताओं की पूजा करते हैं , उनके नाम इस प्रकार हैं…
1 . ईसुअन ( ईश्वन ) ईश्वर शिव , 2 नाराइ ( नारायण ) विष्णु , 3 फ्रॉम ( ब्रह्म ) ब्रह्मा, 4 . इन ( इंद्र ), 5 . आथित ( आदित्य ) सूर्य , 6 . पाय ( पवन ) वायु l

ईस्वी 1285 में लिखा एक शिलालेख मिला है जो आज भी बैंकाक से राष्ट्रीय संग्राहलय में प्रदर्शित किया हुआ है । इसमें राम के जीवन से जुड़ी घटनाओं और भौगोलिक क्षेत्रों का विवरण मिलता है ।

थाईलैंड में लोक किवदंतियों के अनुसार राम जिसे वो Phra Ram लिखते हैं यानि भगवान् राम के भाई लक्ष्मण का जिक्र मिलता है । इनकी कथा में दो अन्य भाइयों का जिक्र नहीं है । पंद्रहवी सदी के रिकॉर्ड के मुताबिक़ राजा राम ने 1283 ईसवी में ही लोंग्का यानि लंका के राजा बोर्रोम तराई लोखंत का अंत कर अयोध्या पे कब्ज़ा किया था। लोंग्का या लंग्कसुम के साम्राज्य का विस्तार काफी बड़ा था । इनकी अयोध्या के साथ लड़ाई होने के आलेख मिलते हैं । थाई आलेख में इसे दानवों का राज्य बताया गया था । जिसके राजा थर्मन यानि रावण थे । थर्मन ने ही राजा राम के पिता थोत्स्रोत यानि दशरथ को हराया था । हारने के बाद थोत्सरोत सुखोध्या छोड़ कर विष्णुलोक चले गए और वहां वो एक मंदिर में पुजारी बन कर रहे थे । जब थोत्सरोत का पता थर्मन को लगा तो उसने विष्णुलोक के राजा को सन्देश भिजवाया जिसके बाद वो अपने परिवार सहित किष्किन्धा की तरफ चले गए। जहाँ से राजाराम ने ही 1283 में राज्य को जीता और अयोध्या की स्थापना की थी ।

थाईलैंड का राष्ट्रीय चिन्ह गरुड़ है , यहां तक कि थाई संसद के सामने गरुड़ बना हुआ है ।

सुवर्णभूमि हवाई अड्डा…

थाईलैंड की राजधानी के हवाई अड्डे का नाम सुवर्ण भूमि है । यह आकार के मुताबिक दुनिया का दूसरे नंबर का एयरपोर्ट है । इसका क्षेत्रफल 563,000 स्क्वेअर मीटर है । इसके स्वागत हाल के अंदर समुद्र मंथन का दृश्य बना हुआ है । पौराणिक कथा के अनुसार देवोँ और ससुरों ने अमृत निकालने के लिए समुद्र का मंथन किया था । इसके लिए रस्सी के लिए वासुकि नाग , मथानी के लिए मेरु पर्वत का प्रयोग किया था ।

साभार:संदीप तिवारी “राज”-(ये लेखक के अपने विचार है)

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