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क्या ये समाचार चैनल विश्व के उन सत्तावन इस्लामी देशों की धर्मनिरपेक्षता के विषय में नहीं जानते ?

-अमिताभ राजी की कलम से-

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Positive India:Amitabh Raji:
गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि #संविधान और #धर्मनिरपेक्षता तभी तक है भारत में, जब तक यहाँ हिंदु बहुमत में हैं, जैसे ही हिंदु अल्पमत में हुआ, तब न भारत का संविधान बचेगा और न ही यहाँ की ये धर्मनिरपेक्षता…..

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कुछ टीवी चैनल और सोशल मीडिया पर इस बात को उनका न सिर्फ विवादित बयान बताया जा रहा है बल्कि स्वयं उसे विवादित साबित भी किया जा रहा है….

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क्या गलत कहा नितिन पटेल ने…? हिंदु अल्पमत में आएगा तो कौन बहुमत में होगा क्या हम ये नहीं जानते…? क्या ये समाचार चैनल विश्व के उन सत्तावन इस्लामी देशों की धर्मनिरपेक्षता के विषय में नहीं जानते…?

सब कुछ जानते हैं ये, और हम से कहीं बेहतर तरीके से समझते हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि इनका तय एजेंडा ऐसे दुष्प्रचार से ही अपने टार्गेट की ओर बढ पाता है….

समय-समय पर हिंसक होते रहे किसानों के नाम पर जमघट लगाने को ये लोग अहिंसक आंदोलन कहते नहीं थकते और पुलिस प्रशासन जरा सा अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से कर दे तो इन्हें बर्बरता नजर आ जाती है, क्या ये आन्दोलन और अडंगेबाजी में फर्क नहीं जानते….? क्या इन्हें नहीं पता कि अपनी बात रखने का अधिकार जरूर है सबको लेकिन दूसरे की बात न होने देने का अधिकार किसी को नहीं है…?

करनाल में वो तथाकथित किसान भाजपा की बैठक का विरोध कर रहे थे न कि अपनी मांगों के पक्ष में शांतिपूर्ण आंदोलन, और प्रशासन का काम है हर किसी को सुरक्षा प्रदान करना, तो अगर एसडीएम ने कहा कि कोई भी बेरीकेटिंग पार न कर पाए और जो बेरीकेटिंग के पार मिले उसका सर फूटा मिलना चाहिए पुलिस के डंडे से, तो क्या गलत कह दिया…? क्या कानून का खौफ नहीं होना चाहिए उत्पातियों के जहन में…? क्या पुलिस को मूर्ति की तरह ही खडे़ रहना चाहिए किसी भी बबाल की स्थिति में…? अगर हाँ तो पुलिसिंग पर पैसा ही खर्च करने की जरूरत क्या है…?

ऐसी पत्रकारिता जिसके स्वयं के हित राष्ट्र के हितों के विपरीत काम करते हों, कायदे में बैन होनी चाहिए, किसी चैनल पर डीबेट कभी ऐसे पत्रकारों पर भी होनी चाहिए कि ऐसा उन्होंने क्यूँ कहा जिससे लोग प्रायः कन्फ्यूजन के शिकार हो जाते हैं कि सही क्या है और गलत क्या…?

समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए न्यूज चैनल और न्यायपालिका की भूमिका जितनी अधिक महत्वपूर्ण है, दोनों उतने ही अधिक जिम्मेदारी दूसरों पर झटकने वाले तथा निरंकुश बने हुए हैं ….
साभार-अमिताभ राजी(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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