राहुल गांधी सावरकर के प्रति अपने स्टैंड से डर गए हैं क्या ?
-विशाल झा की कलम से-
Positive India:Vishal Jha:
कांग्रेस के साथ समझौता के क्रम में पालघर हत्याकांड से लेकर पार्टी शिवसेना को खोने तक, उद्धव ठाकरे को मालूम हो चुका है कि महाराष्ट्र में उनकी राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है। फिर उन्होंने सावरकर को याद किया, ऐसे वक्त में जब कांग्रेस पार्टी खुलकर वीर सावरकर के खिलाफ बोल रही है, राहुल गांधी लगातार वीर सावरकर को अपमानित कर रहे हैं, उद्धव ठाकरे ने इस इस मुद्दे को भुनाने का बढ़िया मौका समझा। उद्धव ठाकरे ने ‘सावरकर का अपमान नहीं सहेंगे’ बयान देकर विपक्षी एकता में अब तक की सबसे बड़ी दरार पैदा कर दी।
राहुल गांधी सावरकर के प्रति अपने स्टैंड से इतने डर गए कि उन्होंने कि उन्होंने सावरकर के विरोध में जितनी ट्विट्स की थी सब डिलीट कर लिए। राहुल गांधी इतनी जल्दी भयभीत हो जाएंगे, कम से कम विपक्षी एकता को इस बात का अंदाजा ना रहा होगा। कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और राष्ट्र स्तर पर कांग्रेसने वीर सावरकर से नफरत का एक स्टैंड लिया था। लेकिन केवल महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल से कांग्रेस बैकफुट पर आ गई। जिस दिन पूरे देश की जनता वीर सावरकर को एड्रेस करने लगेगी, उस दिन क्या यह संभव नहीं कि सावरकर की मूर्तियों के सामने राहुल गांधी मत्था टेक दें?
‘आम्ही सारे सावरकर’ अर्थात् ‘हम सब सावरकर’ लिखी कुछ पोस्टर्स आज पूरे महाराष्ट्र भर में भाजपा ने लगवाई है। भाजपा ने तय किया है कि महाराष्ट्र के 36 विधानसभाओं में ‘सावरकर गौरव यात्रा’ निकालेगी। अब तो महाराष्ट्र की जनता ने भी अपनी जिम्मेवारी तय करनी है, कि यदि वे चाहें तो सावरकर के प्रति अपनी मुखरता से देशभर को संदेश पहुंचा सकती है। सावरकर के प्रति राष्ट्रीय सम्मान सुनिश्चित करने का यह एक तरीका है।
लेकिन सबसे बड़ी बात सावरकर जी के पोते रंजीत सावरकर ने कहा। उन्होंने राहुल गांधी से सावरकर पर बयान को लेकर माफी मांगने को कहा है और संजय रावत तथा उद्धव ठाकरे के बयान को लेकर बड़ी स्पष्टता से उन्होंने बताया कि ये बयान उनका राजनीतिक बयान है और विश्वास के योग्य नहीं है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कांग्रेसी और उद्धव गुट शिवसेना का गठबंधन अभी तक बरकरार है। शरद पवार के मन में सावरकर के प्रति सम्मान होने के बावजूद भी उन्होंने राहुल गांधी के बयान को लेकर आपत्ति नहीं जताई। स्पष्ट है कि राजनीति दोमुखी नहीं चल सकती। राहुल गांधी को तय करना ही होगा कि वे सावरकर के खिलाफ हैं अथवा साथ।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)