www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

क्या न्याय की देवी ने अपनी आंखों पर से काली पट्टी हटा ली है ?

-विशाल झा की कलम से-

Ad 1

Positive India:Vishal Jha:
चंद्रचूड़ साहब दिन को बयान देते हैं और रात को सोशल मीडिया पढ़ते हैं। कि उनके अमुक बयान पर क्या-क्या टिप्पणियां जन समुदाय में चल रही हैं। उसके बाद अपने उन बयानों को दोबारा जस्टिफाई करते हैं और ट्रोल ना करने के लिए हिदायत देते हैं। चंद्रचूर साहब जुबेर के मुद्दे पर पहली बार सबसे ज्यादा ट्रोल तब हुए थे, तब उन्होंने ट्रोल के खिलाफ आकर पब्लिक में बयान दिया था। एक बार फिर एक असामाजिक आचरण को लेकर उनकी जस्टिफाइंग टिप्पणी सोशल मीडिया पर ट्रोल की गई, उन्होंने दोबारा सफाई दिया है।

Gatiman Ad Inside News Ad

समझ में नहीं आ रहा कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सीजेआई के पद को एक प्रकार से व्यक्तिगत क्यों ले रहे हैं? वे भूल गए हैं कि लोकतंत्र के तीन स्तंभों में से एक महत्वपूर्ण स्तंभ न्यायपालिका की सबसे ऊंचे पद पर विराजमान हैं। और वे अपने आप में एक संस्था हैं, ना कि व्यक्ति। उनका काम दिन में टिप्पणी देना और रात को सोशल मीडिया पढ़कर फिर कल सुबह उस पर काउंटर देना नहीं है।

Naryana Health Ad

यदि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश इस स्तर पर आकर आचरण करने लगेंगे, तो न्यायपालिका के इतिहास में पद की गरिमा का यह सबसे खतरनाक पतन है। ऐसा भी कह सकते हैं कि कॉलेजियम के दुष्परिणाम की यह सबसे निकृष्ट अवस्था है। भला सोशल मीडिया में पब्लिक में क्या चल रहा है किसी कांस्टीट्यूशनल बेंच को इन चीजों से क्या लेना देना? उन्होंने तो तथ्यों के आधार पर फैसला देना है। पहली बार ऐसा लग रहा कि न्याय की देवी ने अपनी आंखों पर से काली पट्टी हटा ली है। यह भी अच्छी ही बात है कि जन समुदाय के लोगों की जागरूकता न्यायपालिका तक पहुंच पा रही।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)

Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.