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ध्यान की चाबी सिर्फ सनातन धर्म के पास है

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India: Rajkamal Goswami:
संसार के किसी भी धर्म का मानने वाला हो यदि उसे सत्य की खोज करनी होगी तो ध्यान के अतिरिक्त दूसरा विकल्प नहीं है । और ध्यान की चाबी सनातन धर्म के पास है यद्यपि जैन बौद्ध और सिख धर्मों में भी ध्यान की विधियाँ विकसित हुई हैं लेकिन ॐ सभी में बीज मंत्र है ।

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ध्यान के लिए न किसी ईमान की आवश्यकता है और न विश्वास की अपितु इसके ठीक विपरीत सत्य की खोज के लिए जिज्ञासा धैर्य और लगन की आवश्यकता है । यही कारण है कि बिना किसी मिशनरी तंत्र के ही सनातन धर्म दुनिया भर के धर्मों के लिए ख़तरा है । ओशो इसीलिए अमेरिका में अवांछनीय हो गये । ध्यान सेमेटिक धर्मों की मान्यताओं के लिए ख़तरा है ।

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सेंट थॉमस ॹेवियर ने गोआ में इनक्विजिशन शुरू किए तो उसके पीछे उनके अंदर ग़ैर ईसाइयों के प्रति तथाकथित अथाह करुणा का भाव था कि किसी तरह इन मूर्तिपूजकों को मार पीट कर प्रताड़ित कर ईसा की शरण में ला सकें ताकि इनका कल्याण हो सके । इस्लाम को ऐसी ही करुणा के कारण तलवार उठा कर दुनिया भर में जिहाद करना पड़ा कि ये जानवरों से भी बदतर मनुष्य किसी तरह सीधी राह पर आ सकें ।

लेकिन इधर विवेकानंद के बाद से पश्चिम को अपनी मूर्खता समझ में आ रही है । इतनी उन्नत आध्यात्मिक सभ्यता को उनके विश्वास और धर्म की रत्ती भर आवश्यकता नहीं है । और अब सनातन की लोकप्रियता उनकी बर्दाश्त से बाहर हो रही है इसलिए हिंदूफोबिया फैलाया जा रहा है ।

अब सनातन के संत पश्चिम में पैदा हो रहे हैं और भारतीयों को ध्यान सिखा रहे हैं । जमैका में उत्पन्न मूजी आजकल पुर्तगाल से इंटरनेट के माध्यम से सत्संग कर रहे हैं जिसमें हज़ारों भारतीय प्रतिभाग कर रहे हैं ।

मास्टर मूजी रमण महर्षि निसर्ग दत्त और पुंजा जी की परंपरा के समकालीन गुरु हैं और साधकों की समस्या को एकदम सरलता से सुलझाते हैं ।

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साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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