धर्म निरपेक्षता बनाम संघी आतंकवाद
हिन्दू आतंकवाद एक दशक बाद नर्मदा परिक्रमा के बाद सोच विचार कर अब संघी आतंकवाद में तब्दील हो गया है ।
Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:आपको संघी आतंकवादी का नमस्कार! आपके वक्तव्य ऐसे होते है जिससे तूफान भरी आंधी भी शर्मा जाय ,ठंड मे होने वाली शीत लहर उसके सामने फीकी पड़ जाए , गर्मी की भीषण लू इसके सामने ठंडी पड़ जाए , बरसात का कहर इस व्क्तव्य के आगे नतमस्तक हो जाए , ओलंपिक का कोई भी गोल इतना खतरनाक नही कि उसे इसके सामने याद रखा जाए । मुझे तो आश्चर्य हो रहा है कि हिन्दू आतंकवाद एक दशक बाद नर्मदा परिक्रमा के बाद सोच विचार कर अब संघी आतंकवाद में तब्दील हो गया है । इसमे दुख व्यक्त करू कि अफसोस ये समझ मे नही आ रहा है ।पर मुझे खुशी है कि आपको ये अब जाकर अहसास हुआ कि कांग्रेस में भी बहुत धर्मनिरपेक्ष हिंदू भरे पड़े है । हिन्दू आतंकवाद के गढ़ने से उनको कितना फर्क पड़ा,ये पता नही या उनको अपनी राजनीति ये सब बर्दाश्त करने को मजबूर करती है । पहले मैं इस व्क्तव्य को उन्हीं के घर से से ही चालू करू; इनके भाई उस समय संघ पर निष्ठा रख बीजेपी के सांसद बने थे, ऐसे मे तो वो भी संघी आतंकवादी थे । कभी उन्होंने अपने भाई श्री से पूछा कि भाई देश मे संघी आतंकवाद क्यो फैला रहे हो? फिर उस समय तो इनकी ही सरकार थी फिर मालूम होने के बाद भी चुप्पी क्यो ? फिर इन्ही के क्षेत्र मे एक कांग्रेस के कद्दावर नेता है जिनका पारिवारिक संबंध संघ व जनसंघ से रहा है । पूरे देश को पता है की मध्य भारत, महाकोशल, एम पी और छ ग मे संघ व जनसंघ को किस ने मजबूत किया है। ये वही नेता है जिसने तन मन धन से इस पार्टी को इस मुकाम तक पहुंचाया है । बात यहाँ तक भी होती तो कोई बात नही, इस क्षेत्र मे पहली गैर कांग्रेस सरकार बनाने का भी श्रेय इसी को जाता है । उल्लेखनीय है आज उनका नाती भी यू पी ए मे काबीना मंत्री था । क्या उस शख्स को महोदय ये कहने की हिम्मत करेंगे की इस क्षेत्र मे संघी आतंकवाद का फसल उगाने मे इनके दादी का हाथ है? महोदय आपके एक तेज तर्रार कार्यकर्ता और नामचीन अधिवक्ता के पिता जो एक न्यायाविद थे अब नही रहे; वो भी बीजेपी और संघ विचार के थे क्या ये महोदय उस महानुभाव से कह पाएंगे कि वो संघी आतंकवाद के पोषक थे? आज के हालात मे जो राजनीति चल रही है उसका आधार ही व्यवसायिक हो गया है । इस राजनीति मे हर पार्टी मे घर का एक सदस्य है । इसलिए सत्ता मे इनका ये रिश्ता क्या कहलाता है समझ आ गया होगा । फिर क्या ये संघी आतंकवादी के रिश्तेदार को अपने दल मे बरदाश्त कर लेंगे ? कई बार इनके व्यक्तवय से लगाता है कि ये राष्ट्र पहले इस्लामिक देश था जिसे संघीयो ने आतंकवाद फैला कर हिंदुस्तान बना दिया । यही कारण है की गुरु दोणाचाय॔ की भूमिका मे ऐसा अर्जुन दिया है कि उन्ही के दल के लोगो को झेलना मुश्किल हो रहा है । उनके नए नए शोध से देश कब लाभान्वित होगा पता नही । पर ये तय है न राम हुए न कृष्ण ये भी इनके पूर्व मंत्री और एक बड़े वकील ने कहा है वो भी कोर्ट मे कहा है । मेरे को ऐसा लगता है कि जिन्ना भी पछताता होगा कि ये लोग पहले आ जाते तो जिन्ना इस देश का पहला प्रधानमंत्री होता । भारतीय राजनीति की खासियत रही है हर दल ने अपने फायदे के लिए भाजपा से कभी न कभी समझौता किया है। तब ये पार्टी उनके लिए पाक साफ हो जाती है । काम निकलने के बाद सांप्रदायिक हो जाती है । वही कांग्रेस तो ऐसा कुंड है यहां डुबकी लगाने मात्र से धर्म निरपेक्षता का सर्टिफिकेट मिल जाता है । आगे चलकर इस तरह के सोच रखने वाले कम से कम दो लोगो को पड़ोसी देश का सर्वोच्च सम्मान मिल जाए तो कोई आश्चर्य नही। ये जरूर है ऐसा कर ये खुद कमजोर हो रहे है । वैसे भी झूठ के पाऐ नही होते । ये संस्कार का ही फर्क है । कुछ भी हो यहां सब चलता है, इस लिए चल रहा है । ऐसे इंटेलेक्चुअल लाबी से इनको इस राजनीति से कितना फायदा होता है, ये ही जाने; पर हर बार देश आहत होता है इसकी ज्यादा पीड़ा होती है ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)